Paris Olympics: ओलंपिक्स हर चार साल में प्राचीन यूनानी संस्कृति को आदर देने के लिए आयोजित किया जाता है. इस बार की मेजबानी पेरिस को मिली है, लेकिन उद्घाटन समारोह ने निराश कर दिया. इस साल का विषय था प्रेम और साझा मानवता, लेकिन पेरिस ने इसे मजाक बना दिया. उद्घाटन में धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली घटनाएं हुईं, जिसने दर्शकों को नाखुश और आक्रोशित कर दिया.
ट्रंप का बयान
इसी उद्घाटन समारोह को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान सामने आया है, सोमवार रात को फॉक्स न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि उद्घाटन समारोह वास्तव में अपमानजनक था. हालंकि में बहुत खुले विचारों वाला इंसान हूं फिर भी मुझे लगा कि यह अपमानजनक था.
क्या है पूरा मामला
पेरिस के ओलंपिक उद्घाटन समारोह में लियोनार्डो दा विंची की “द लास्ट सपर” की विवादास्पद प्रस्तुति ने हंगामा खड़ा कर दिया. इस दृश्य में ड्रैग क्वीन्स और कलाकारों ने यीशु मसीह और उनके प्रचारकों को अंतिम भोजन करते हुए दिखाया है, जिससे एक समुदाय विशेष भड़क उठा. उन्होंने पेरिस की ओलंपिक्स की मेज़बानी के लिए जमकर आलोचना की और इसे आस्था पर हमला बताया.
क्या रही लोगों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्वीटर) में पेरिस की जमकर आलोचना की जा रही है. लोग अपना गुस्सा शब्दों के रूप में बयां कर रहे हैं. एक यूजर ने ओलंपिक्स के उद्घाटन समारोह का वीडियो शेयर करते हुए लिखा यह पैरोडी नहीं है, यह पेरिस में 2024 ओलंपिक खेलों का उद्घाटन समारोह है. उद्घाटन समारोह अद्भुत हुआ करते थे. यह किस तरह की खौफनाक और राक्षसी बकवास है? वही दूसरे यूजर ने लिखा यहां तक कि फ्रांस के लोग भी पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह को देखकर भयभीत हो उठे. इसका उत्तर देते हुए एक यूजर ने लिखा यह संस्कृति, परंपरा और आस्था पर हमला है. यह कला नहीं है और न ही अभिव्यक्ति है. यह बकवास है.
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क्या अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर लोगों की भावनाओं को ऐसे ही ठेस पहुंचाना जारी रहेगा? या फिर भविष्य में इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही होगी? दर्शकों की बढ़ती नाराजगी और विवादों को देखते हुए, क्या आयोजक भविष्य में ऐसे मुद्दों पर सावधानी बरतेंगे?
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