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सामाजिक आंदोलन के प्रभाव से प्रेमचंद की कहानियों में दलित नायक

सामाजिक आंदोलन के प्रभाव से प्रेमचंद की कहानियों में दलित नायक

प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर साहित्यिक मंच ने की गोष्ठी फोटो – दीपक – 19 उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती की पूर्व संध्या पर मंगलवार को साहित्यिक मंच ने गोष्ठी का आयोजन किया. इस मौके पर अध्यक्षता करते हुए प्रो हरिनारायण ठाकुर ने कहा कि प्रेमचंद साहित्य के एक नहीं, अनंत पाठ हैं. गोदान दुनिया की सबसे बड़ी ट्रेजडी है. स्वामी अछूतानंद हरिहर और चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु के सामाजिक आंदोलनों का प्रेमचंद साहित्य पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि दलित उनके कई कहानियों और उपन्यास के नायक हो गए. खासकर रंगभूमि उपन्यास,ठाकुर का कुआं ,कफन कहानियों में उनके दलित नायकों के उभार को देखा जा सकता है. डॉ शिवेन्द्र मौर्य ने प्रेमचंद के गोदान को अवध के किसान आंदोलन की उपज बताया. डॉ चितरंजन ने मिशेल और फूको के इतिहासबोध से अपनी बात की शुरुआत की और उस इतिहास बोध से प्रेमचंद को जोड़ने का प्रयास किया. डॉ अवनीश मिश्र ने उत्तर आधुनिकता का संकट और प्रेमचंद साहित्य को अपने विचार का आधार बनाया. संचालन डॉ रामदुलार सहनी, स्वागत डॉ रवि रंजन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ रिंकू कुमारी ने किया. इस मौके पर डॉ अविनाश कुमार, डॉ ज्योति, डॉ विपिन बिहारी, डॉ आशा सिंह यादव, डॉ नूतन कुमारी, डॉ आशीष कांता उपस्थित रहे.

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