डुमरांव. प्रखंड क्षेत्र के सोवा गांव के पश्चिम टोला तथा गांव के उत्तर में स्थित दो सरकारी नलकूप पिछले 7 साल से बंद होने से किसानों को खेतों की पटवन की समस्या एक गंभीर समस्या बन गया है. बारिश नहीं होने पर किसानों के लिए वरदान साबित होने वाले ये सरकारी नलकूप पिछले सात सालो से किसानों के लिए बस दिखावे के लिए रह गए हैं. सोवा गांव में एक समय था कि सरकारी नलकूप होने से लोग अपने खेती का सिचाई समय समय पर कर लेते थे. लेकिन वही अब इस महंगाई के दौर में किसान अपने खेतों के सिचाई करने में असमर्थ है. चिलचिलाती धूप के कारण धान की फसल सूखकर बर्बाद हो रहे है. किसानों की मुख्य फसल धान की रोपाई तो जैसे तैसे किसान किए लेकिन वर्षा नही होने से अब सुख रहे है. सरकारी नलकूप खराब होने के कारण किसानों की खेती प्राकृत पर निर्भर है. मौसम की बेरुखी, चिलचिलाती घुप के चलते किसान अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं. तेज धूप के कारण एक से दो दिन में पटवन का पानी सुख जाता है. वही पिछले 14-15 दिनों से चिलचिलाती धूप के कारण धान की फसल भी सुख रही है. जिन लोगो के पास निजी नलकूप है वे लोग तो अपना खेती कर लेते है लेकिन जिनके पास पटवन का कोई उचित सुबिधा नही है उन लोगों के खेतों की सिचाई नही हो पा रही है एक तरफ सरकार का कहना है कि किसानो को लाभ पहुचाये बिना देश का विकास संभव नही है वहीं दूसरी तरफ सरकार की अनदेखी के कारण असमर्थ किसानो की आर्थिक स्थिति कमजोर होने कारण कर्जो के बोझे तल्ले दबते दिखाई दे रहे हैं गांव में लगे नलकूप सात साल बाद भी चालू नहीं हो पाई है जिससे क्षेत्र के किसानों को सरकारी स्तर पर लगाए गए नलकूप से सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है. नलकूप बंद होने के कारण किसानों के धान की फसल का पटवन करने में परेशानिया हो रहा है जिनके पास निजी नलकूप है वो अपने धान की फसलों की सिंचाई कर लेते है लेकिन जो किसान आर्थिक रूप से कमजोर है. उनको खेतों की सिचाई करने में जेब ढीली हो जा रही है ऐसे में धान की सिचाई उनके सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है. सरकारी नलकूप खराब होने से किसानों को दूसरों के नलकूप से प्रति बीघा 400 सौ रुपये की दर से खेत मे पानी पटवन करनी पड़ती है किसान पौसे की तंगी कारण पटवन नही कर रहे है. जिससे खेतों में लगे धान की फसल सुख रही है.
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