कटिहार. 16 प्रखंडों में धान रोपणी के लक्ष्य 83704 हेक्टेयर के विरुद्ध तीस जुलाई तक 81678 हेक्टेयर में धान रोपणी कार्य पूरा हो गया है. धान रोपणी कार्य लगभग अंतिम चरण में है. अब भी करीब दो प्रतिशत धान रोपणी कार्य जिले में शेष रहा गया है. ऐसा कृषि विभाग के पदाधिकारियों का कहना है. जुलाई माह में सामान्य बारिश 307.20 एमएम के विरुद्ध तीस जुलाई तक 297.29 एमएम सामान्य वर्षपात हुई है. ऐसे में जिले में वृहत पैमाने पर होने वाले धान की खेती को लेकर किसान चितिंत हैं. सक्षम किसान किसी तरह महंगे दामों में डीजल के सहारे धान रोपणी के साथ पटवन भी कर लेंगे. लेकिन सामान्य किसानों के समक्ष धान रोपणी को लेकर आसमान में टकटकी लगाये हुए हैं. जिन किसानों ने धान की रोपनी कर ली है. पटवन के अभाव में धान की खेतों में दरार फटने लगी है. पटवन को लेकर उनलोगों के बीच चिंता अलग से खाये जा रही है. जून माह में 200 एमएम लक्ष्य के विरुद्ध महज 55.56 एमएम बारिश होने से जिले के किसान धान के बिचड़ा तैयार करने से लेकर रोपनी के लिए खेत तैयार करने में महंगे डीजल के सहारे ही निर्भर रहें. बीज वितरण में इस वर्ष भले ही विभाग द्वारा शत प्रतिशत प्रतिशत बीज वितरण का दावा किया जा रहा है. लेकिन सूखे खेत में पड़ी दरार के बीच रोपनी के लिए शेष रही धान किसानों के गले का हल्क सूख रहा है. 30 जुलाई तक 297.29 एमएम सामान्य वर्षपात हुए हैं. जबकि तीस जुलाई तक ही औसत वर्षपात 288.73 एमएम है. ऐसे में जिले को धान रोपनी के लिए दिये गये 83704 हेक्टेयर के विरुद्ध कई प्रखंडों में दो प्रतिशत अब भी धान रोपनी होना शेष रह गया है. जिन किसानों ने धान की रोपणी कर ली है. अब उनके खेतों में पटवन की नितांत् आवश्यक है. ऐसे में सक्षम किसान महंगे दामों में डीजल के सहारे पटवन कर रहे हैं तो सामान्य किसान अब भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. दलन पूरब के किसान संजय भगत, शंभू भगत, सीताराम सिंह, अनिल सिंह कहते हैं कि प्रथम जून से ही धान के बिचड़ा खेतों में तैयारी की जाती है. बारह से 15 दिनों में खेत तैयार कर धान की रोपनी शुरू कर दिया जाता है. विभाग की ओर से धान बिचड़ा वितरण में विलम्ब होने के कारण और जून व जुलाई माह में औसत बारिश से कम बारिश होने का खामियाजा उनलोगों को महंगे दामों में डीजल के सहारे ही बिचड़ा गिराकर भुगतना पड़ रहा है. खेतों में बार-बार पटवन कर तैयार करने के बाद भी धान रोपनी के समय खेत सूख जाने से रोपनी में परेशानी हो रही है.
कदवा में सबसे अधिक 15189.644 हेक्टेयर में धान रोपणी का लक्ष्य
कृषि विभाग के पदाधिकारियों की माने तो जिले को इस वर्ष 83704 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य प्राप्त है. सबसे अधिक कदवा प्रखंड में 15189.644 हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया है. अमदाबाद में 1387, आजमनगर में 12407.16, बलरामपुर में 8205, बरारी में 8060.558 हेक्टेयर, बारसोई में 7924.06, डंडखोरा में 2668.87, फलका में 6132, हसनगंज में 1802.4, कटिहार् में 2016, कोढ़ा में 6899, कुरसेला में 284, मनिहारी में 4103.8, मनसाही में 1416, प्राणपुर में 3943, समेली में 1256.26 हेक्टेयर कुल 83704.752 हेक्टेयर में धान रोपनी के लिए लक्ष्य निर्धारित है.कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी
जून माह में 200 एमएम लक्ष्य के विरुद्ध महज 55.56 एमएम बारिश हुई है. जुलाई माह में जिले में सामान्य बारिश 307.20 एमएम के विरुद्ध 30 जुलाई तक सामान्य वर्षपात 297.29 और तीस जुलाई तक औसत वर्षपात 288.73 एमएम हुई है. 83704 हेक्टयर लक्ष्य के विरुद्ध जिले में अब 81678 हेक्टेयर में धान रोपणी कार्य पूरा हो गया है. कई प्रखंडों में शत प्रतिशत धान की रोपनी कार्य पूरा हो गया है. बीज वितरण कार्य पूर्व मेंं शत प्रतिशत करा लिया गया है.
राजेन्द्र कुमार वर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी सह संयुक्त निदेशक शष्य पूर्णिया प्रमंडलडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है