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क्यों नहीं बन सकता है सिलागाईं के चयनित स्थल पर एकलव्य विद्यालय : हाइकोर्ट

हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार से पूछा

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने चान्हो के सिलागाईं में चयनित स्थल पर एकलव्य आवासीय विद्यालय के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रत्नाकर भेंगरा व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि सिलागाईं के बदले बरहे में एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाये जाने का क्या कोई लिखित दस्तावेज है. यदि नहीं है, तो क्या दोनों प्रोजेक्ट अलग-अलग हैं. खंडपीठ ने प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार से जानना चाहा कि सिलागाईं में स्थल चयनित करने के बावजूद एकलव्य विद्यालय क्यों नहीं बनाया जा रहा है. जब बरहे गांव में एकलव्य विद्यालय बन सकता है, तो सिलागाईं में क्यों नहीं बन सकता है. राज्य की विधि-व्यवस्था सरकार के हाथों में होती है. ऐसा प्रतीत होता है कि सिलागाईं में विद्यालय नहीं बनने का अर्थ है कि राज्य में कानून का राज नहीं है. खंडपीठ ने यह भी जानना चाहा कि बरहे में एकलव्य विद्यालय बनाने को लेकर 61 लोगों के साथ ग्राम सभा की गयी. यदि एकलव्य विद्यालय का चयनित स्थल बदलने की बात थी, तो उस ग्राम सभा की बैठक में सहमति बनाने के लिए सिलागाईं के लोगों को क्यों नहीं बुलाया गया. खंडपीठ ने कहा कि प्रार्थी द्वारा मांगी गयी सूचना के आलोक में यदि केंद्र व राज्य सरकार स्पष्ट जवाब नहीं देती है, तो यह सरकार की कमी मानी जायेगी. खंडपीठ ने मामले में किसी प्रकार का आदेश पारित किये बिना अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत कुमार गुप्ता ने खंडपीठ को बताया कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत केंद्र व राज्य सरकार से जानकारी मांगी है. सरकार से सूचना मांगी गयी है कि जब केंद्र सरकार ने सिलागाईं के लिए एकलव्य विद्यालय का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया था, तो वहां विद्यालय क्यों नहीं बनाया जा रहा है. किसके आदेश से एकलव्य विद्यालय का स्थान बदला गया. राज्य सरकार सिलागाईं में एकलव्य विद्यालय बनाना चाहती है या नहीं. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी गोपाल भगत ने जनहित याचिका दायर की है. नौ दिसंबर 2022 को हाइकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए सिलागाईं में चयनित स्थल पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी खारिज करते हुए हाइकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. इसके बावजूद चयनित स्थल पर विद्यालय का निर्माण नहीं हो रहा है.

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