रांची. हजारीबाग निवासी अलका देवी को 18 साल की लंबी जद्दोजहद, भाग-दौड़ और कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाने के बाद अंतत: सफलता मिली. उन्हें जेबीवीएनएल में अनुकंपा के आधार नौकरी मिल गयी है. उसकी नियुक्ति सपोर्टिंग स्टाफ वर्ग तीन (अकुशल श्रमिक) के पद पर जमशेदपुर में हुई. वहीं पहली बार जेबीवीएनएल में एक विवाहित पुत्री को अनुकंपा पर नौकरी मिली है. अलका ने बताया कि वह हजारीबाग की रहने वाली है. उनके पिता जमशेदपुर में बिजली वितरण निगम में स्टोर कीपर के रूप में तैनात थे. उनके पिता का नाम लाल जीत महतो था. 31 दिसंबर 2005 को उनके पिता की हत्या उस समय कर दी गयी, जब कुछ लोग बिजली वितरण के स्टोर में लूटपाट करने आये थे.
2006 में किया था आवेदन
अलका ने बताया कि वह लालजीत महतो की इकलौती बेटी है. मेरा कोई भाई नहीं है. मां का भी निधन हो चुका है. मेरी शादी हो चुकी थी. 2006 में उसने अनुकंपा के आधार पर बिजली वितरण निगम में नौकरी की मांग की. इसके लिए आवेदन दिया. लेकिन निगम ने यह कहते हुए मना कर दिया कि विवाहित बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती. इसके बाद वह करीब-करीब मान चुकी थी कि उसे अब नौकरी नहीं मिलेगी.
2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से चक्कर लगाना शुरू किया
अलका ने बताया कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि विवाहित स्त्री भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने का अधिकार रखती है. इसको आधार बनाकर उन्होंने पुन: जेबीवीएनएल का चक्कर लगाना शुरू कर दिया. इसके बाद बिजली वितरण के अधिकारियों ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और आज उसे नौकरी दे दी गयी. इसके पहले अलका हाइकोर्ट भी जा चुकी है. अलका देवी के साथ-साथ जेबीवीएनएल द्वारा कुल 49 लोगों को अनुकंपा पर नियुक्ति पत्र सौंपा गया है.
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