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व्हाट्सएप, मैसेंजर के युग में विलुप्त हो गया पोस्ट कार्ड व लिफाफा

आज तो लोग मोबाइल के जरिये एक-दूसरे से पलक झपकते हीं जुट जाते हैं, रुपये भेजने की जरूरत पड़ी तो इंटरनेट पर पे फोन, गुगुल पे जैसे एप एक सहज माध्यम सा बन गया है.

कमर आलम, अररिया. आज तो लोग मोबाइल के जरिये एक-दूसरे से पलक झपकते हीं जुट जाते हैं, रुपये भेजने की जरूरत पड़ी तो इंटरनेट पर पे फोन, गुगुल पे जैसे एप एक सहज माध्यम सा बन गया है. लेकिन एक समय था जब संचार का एक मात्र साधन पोस्ट कार्ड, अंतर्देशीय कार्ड व लिफाफा होता था जो अब लगभग एक तरह से विलुप्त हो गया है. अब यह कहीं दिखता भी नहीं है. पहले यह तीनों कार्ड भारत सरकार के पोस्ट ऑफिस में बिकता था. पोस्ट कार्ड मात्र 15 पैसा, अंतर्देशीय कार्ड 25 पैसा व लिफाफा 50 पैसा में मिलता था. जिसके माध्यम से भारत के लोग पूरे देश में इन तीनों कार्ड के माध्यम से अपने रिश्तेदार व करीबी लोगों को लिखित संदेश भेजते थे.

पोस्टमैन का लोगों को बेसब्री से रहता था इंतजार

सबसे खास बात यह थी कि पत्र में अगर कोई जरूरी बात लिखा जाता था तो करीब एक सप्ताह के बाद पोस्ट ऑफिस में तैनात पोस्टमैन के माध्यम से जिनको भेजा जाता था. उन तक संदेश पहुंच पाता था, लेकिन फिर भी लोगों को पोस्टमैन का इंतजार रहता था. मोहल्ले का पोस्टमैन लगभग सभी लोगों का नाम व घर जानता था. इतना हीं नहीं उस जमाने में एक दूसरे को लोग मनी ऑर्डर के माध्यम से पैसा भी भेजते थे. पोस्टमैन पैसा पहुंचाते थे तो लोग खुशी में कुछ नजराना भी देते थे. उस जमाने में पोस्टमैन का समाज में काफी इज्जत व सम्मान होता था. संचार के यह तीन माध्यम का अपना अपना अलग वैल्यू होता था. गरीब व्यक्ति मात्र 15 पैसा के पोस्ट कार्ड में अपना संदेश भेजते थे तो एक पन्ने का अंतर्देशीय कार्ड भी होता था. जिसकी कीमत 25 पैसा होती थी. अगर एक पन्ना से अधिक का कोई मैसेज लिखना होता था तो उसे लिफाफा में बंद कर भेजा जाता था. जिसकी कीमत 50 पैसा होता था.

पहले स्कूलों में सिखाया जाता था पत्र लेखन

संचार के इस आधुनिक दौड़ में हमारे युवा व नई पीढ़ी ने यह सब देखा भी नहीं है. पहले स्कूल में बच्चों को पत्र लिखने को सिखाया जाता था. लेकिन आज नई पीढ़ी को पत्र लिखना भी नहीं आता है. मोबाइल के इस आधुनिक दौर में अब सेकेंड में ही कोई संदेश मैसेज, व्हाट्सएप , फेस बुक व इंस्टाग्राम के माध्यम से भेज दिया जाता है. मनी ऑर्डर की जगह पे फोन, गुगुल पे व मनी ट्रांसफर आदि के माध्यम से राशि एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से भेज दिया जाता है. ऐसे में बदलते इस परिवेश में अब न तो पोस्टमैन दिखता है. ना ही पोस्टकार्ड व लिफाफा.स्कूली बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री का किया गया वितरण

परवाहा. फारबिसगंज प्रखंड की अड़राहा पंचायत के वार्ड संख्या दो स्थित प्राथमिक विद्यालय सरदार टोला में मंगलवार को स्कूली बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री का वितरण किया गया. पाठ्य सामग्री मिलने से बच्चों में काफी खुशी देखी गयी. वहीं जिन बच्चों को पाठ्य सामग्री नहीं मिले उसमें थोड़ी मायूसी देखी गयी. प्रधानाध्यापक ललित कुमार ठाकुर ने बताया कि विद्यालय में कुल 151 नामांकित बच्चे हैं, लेकिन पाठ्य सामग्री सिर्फ 76 बच्चों का हीं उपलब्ध करवाया गया. जिसे बच्चों के बीच वितरण कर दिया गया है. मौके पर प्रधानाध्यापक ललित कुमार ठाकुर, शिक्षक राजीव कुमार रमण,अर्जुन कुमार रजक ,रोशन कुमार ऋषिदेव उपस्थित थे.

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