लखीसराय. नगर परिषद के मुख्य पार्षद अरविंद पासवान ने नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री को पत्र भेज बिहार नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2024 वापस लेने की मांग की है. संशोधन विधेयक 2024 के प्रति प्रतिरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि यह संशोधन अधिनियम राज्य के सभी नगर निकायों की स्वायत्तता पर हमला है और नगर निकायों में ””””इंस्पेक्टर राज”””” लाने की गुपचुप तैयारी है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए शुभ नहीं है. यह अधिनियम न केवल जनता द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर कुठाराघात है, बल्कि लाखों-करोड़ों लोगों के मताधिकार का अपमान भी है. इस अधिनियम के लागू होने से सरकार के सभी निर्देशों को मानना नगर निकाय की मजबूरी होगी. जाहिर है कि इस अधिनियम के जरिये निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों की हाथों की कठपुतली और उनका रबर-स्टांप बनाने की कोशिश की जा रही है. इस अधिनियम से बेहतर तो यह होता कि नगर निकायों में प्रशासक ही नियुक्त कर दिया जाय और चुनावी प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाय.खासकर धारा 27 (आ) (2), धारा 52(5), धारा 55, धारा 60, धारा 221 आदि को जनविरोधी और लोकतंत्र विरोधी मानते हुए इसकी वापसी की मांग करते हैं. इन्होंने आगे कहा है कि मुख्य पार्षद आमजन के प्रतिनधि होते हैं और नगरवासियों के प्रति सीधे तौर पर जवाबदेह भी होते हैं. किसी बैठक का कार्यवृत्त जनहित से जुड़ा मामला होता है. ऐसे में यह जिम्मेवारी पदाधिकारी को सौंपना चुने हुए जनप्रतिनिधि को असहाय बनाने की कवायद है.
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