कांवरिया पथ पर दिख रहे आस्था के अलग-अलग रूप कांवरिया पथ से राजीव रंजन, देवघर बाबा बैद्यनाथ को जलार्पण करने अजीब- अजीब तरह से भक्त आते हैं. सावन माह में सुल्तानगंज से जल लेकर कांवर चढ़ाना पौराणिक परंपरा है, इससे बाबा बैद्यनाथ प्रसन्न होते हैं. अपने भक्तों की सारी मनोकांमनाएं पूरी करते हैं. इसके लिए भक्त भी अलग-अलग वेशभूषा में बाबा के दरबार पहुंच रहे हैं. इसमें कांवरिया पैदल आते हैं, तो कुछ डाकबम के रूप में आते हैं. कुछ लोग अपनी मन्नतों को लेकर कांवरिया पथ पर दंड देते हुए बाबाधाम पहुंचते दिख रहे हैं. बुधवार को कांवरिया पथ पर ऐसा ही नजारा देखने को मिला. हावड़ा से 30 कांवरियाें का एक जत्था बोल बम के नारे लगाते हुए गुजर रहा था. एक बड़े से कांवर पर बसहा बैल पर बैठे शिव को लेकर गुजरते हुए यह जत्था आकर्षण का केंद्र बना हुआ था. कई लोग इस आकर्षक कांवर के साथ सेल्फी लेते तो कई कांवरियों की सेवा करते दिखे. कांवरियों ने बताया कि वे शुक्रवार को सुल्तानगंज से लेकर जल लेकर चले और बुधवार को जल चढ़ाने के बाद बासुकिनाथ धाम जायेंगे. सात सालों से हम सभी कांवरिये अलग-अलग तरह के आकर्षक कांवर लेकर आ रहे हैं. वहीं झारखंड के चाइबासा जिला अंतर्गत श्रीश्री सरस्वती हरि बोल दुर्गा मंदिर के 20 श्रद्धालु एक ही वेशभूषा में एक ही तरह के कांवर लेकर बाबाधाम पहुंचे. सभी कांवरियों ने आपने कांवर को एक जैसे ही आकर्षक तरीके से सजाया था. कांवरियों ने बताया कि बीते तीन सालों से हम सभी एक साथ ही आते हैं. तीन दिन पहले सभी सुल्तानगंल से जल लेकर चले हैं. बुधवार को बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण के बाद बासुकिनाथधाम जलार्पण के लिए जायेंगे. बुधवार की सुबह कांवरियों की संख्या कांवरिया पथ पर बढ़ती जा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे दोपहर होता चला, कांवरियों की संख्या घटती गयी. शाम होते-होते फिर से कांवरियों की संख्या में तेजी आने लगी. झारखंड प्रवेश द्वार दुम्मा गेट के पार करते हुए कांवरिये में एक नया जोश देखा गया. कांवरिया झूमते गाते हुए व बोल बम के नारे के साथ बाबा नगरी की ओर बढ़ रहे थे. वहीं विभिन्न जगहों पर कांवरिया सेवा शिविर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कांवरियों को भक्ति गीतों पर झूमते- नाचते देखा गया.
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