हसनगंज. प्रखंड के पीएचडी व अन्य योजनाओं से लगे सरकारी चापाकल आज विभागीय उदासीनता का शिकार बना हुआ है. देखरेख के अभाव में सड़क किनारे व गांव में लगे दर्जनों चापाकल खराब पड़े हुए हैं. जिससे आमलोगों व राहगीरों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. चापाकल पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है. मौके पर कालसर पंचायत के अधौरा महादलित टोला में लगे चापाकल शोभा की वस्तु बनकर लोगों का मुंह चिढ़ा रहा है. पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा लगाये गये दर्जनों सरकारी चापाकल मरम्मत के अभाव में जर्जर हो रहा है. खराब पड़े इन चापाकलों को देखने वाला कोई नहीं है. स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभाग का रवैया भी इस समस्या के प्रति उदासीन है. जिसको लेकर स्थानीय महिला ग्रामीण गीता देवी, काजल देवी, गूंजा देवी, अर्पणा देवी आदि ने बताया कि गांव में चापाकल लगाया गया था. जो चापाकल सभी गांव वासियों का गर्मी व बरसात के दिनों में प्यास बुझाते थे. पर अब कुछ सालों से चापाकल खराब हो गया है. उसके बाद कभी मरम्मत नहीं किया गया. जो आज तक खराब पड़ा हुआ है. इसी तरह ऐसे जाने कितने सरकारी चापाकल खराब पड़े हैं. क्षेत्र के प्रबुद्ध समाजसेवी अमरनाथ यादव, नूर आलम, मोहसिन, अमित कुमार सिंह, असफाक आदि ने बताया कि जो भी चापाकल लगाया गया है. लगभग खराब पड़ा है. तेज धूप और भीषण गर्मियों में विभाग द्वारा बंद चापाकल को चालू नहीं किया गया. जो विभागीय लापरवाही को दर्शाता है. सरकार प्रखंड में प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए पेयजल मुहैया के नाम पर खर्च करती है. पर जनता को उस योजना से एक बूंद भी पानी नसीब हो पाता है. प्रखंड प्रमुख नीलू देवी ने कहा की प्रखंड क्षेत्र भ्रमण के दौरान यह समस्या की शिकायत ग्रामीणों द्वारा कई दफे मिली है. खराब पड़ी चापाकल की मरम्मत के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखकर जल्द मरम्मत की मांग किया जायेगा.
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