वियतनाम के प्रधानमंत्री Pham Minh Chinh तीन दिवसीय यात्रा पर मंगलवार रात नई दिल्ली पहुंचे. उनका उद्देश्य भारत और वियतनाम के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का होगा.
वियतनामी लीडर का हवाई अड्डे पर विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने गर्मजोशी से स्वागत किया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने X पर पोस्ट किया, ‘वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह का राजकीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया.’ उन्होंने कहा, ‘भारत और वियतनाम के बीच सभ्यतागत संबंध हैं और आपसी विश्वास पर आधारित दीर्घकालिक मित्रता है. यह यात्रा हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी.’
वियतनामी प्रधानमंत्री ने बुधवार को विभिन्न कार्यक्रमों और व्यापारिक आयोजनों में भाग लिया. गुरुवार को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में उनका औपचारिक स्वागत भी किया गया.
PM Pham Minh Chinh का आज के दिनभर का कार्यक्रम
आज दिनभर में, फाम मिन्ह चीन्ह महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट जाएंगे और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे, जो दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में दोपहर के भोजन का आयोजन भी करेंगे. चीन्ह अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात करेंगे.
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा, ‘भारत वियतनाम को अपनी एक्ट ईस्ट नीति का एक प्रमुख स्तंभ और अपने हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण साझेदार मानता है.’ 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हनोई यात्रा के दौरान व्यापक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के बाद से भारत-वियतनाम संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं.
चीन के साथ वियतनाम का इतिहास
वियतनाम और चीन का इतिहास बहुत पुराना और एक दूसरे से जुड़ा हुआ है, जो ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में हान राजवंश से शुरू होता है. अपने इतिहास के अधिकांश समय में वियतनाम चीनी प्रभुत्व के अधीन रहा, जिसमें चीनी शासन के बीच-बीच में स्वतंत्रता के दौर भी शामिल रहे.
दोनों देशों के बीच संबंधों में सहयोग और संघर्ष दोनों की झलक मिलती है. 20वीं सदी में, वियतनाम और चीन ने 1979 में एक संक्षिप्त सीमा युद्ध लड़ा था, जिससे उनके संबंधों में तनाव पैदा हो गया था. हालांकि, हाल के वर्षों में, दोनों देशों ने अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए काम किया है, जिसके साथ चीन वियतनाम के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक बन गया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में वियतनाम के महत्व को बनाए रखा है, साथ ही मौजूदा पहलों पर तेजी से प्रगति के लिए काम करने के अलावा रक्षा साझेदारी सहित द्विपक्षीय संबंधों के दायरे को बढ़ाने की मांग की है.
प्रधानमंत्री चीन्ह की यात्रा से भारत और वियतनाम के बीच आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है. दोनों देशों ने 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.