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विधानसभा में तीन नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव हुआ पास

पूरे देश में एक जुलाई से लागू हुए तीन नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ गुरुवार को राज्य विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया गया. राज्य सरकार ने पुराने कानूनों की तुलना में तीनों नये कानूनों को बहुत अधिक कठोर और जनविरोधी बताते हुए केंद्र से इसकी समीक्षा करने और इसमें जरूरी परिवर्तन करने की मांग की. राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधानसभा के नियम 169 के तहत बुधवार को यह प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव पर सदन में दोनों दिन मिलाकर कुल तीन घंटे की चर्चा के बाद यह ध्वनिमत से पारित हो गया.

कोलकाता.

पूरे देश में एक जुलाई से लागू हुए तीन नये आपराधिक कानूनों के खिलाफ गुरुवार को राज्य विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया गया. राज्य सरकार ने पुराने कानूनों की तुलना में तीनों नये कानूनों को बहुत अधिक कठोर और जनविरोधी बताते हुए केंद्र से इसकी समीक्षा करने और इसमें जरूरी परिवर्तन करने की मांग की. राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधानसभा के नियम 169 के तहत बुधवार को यह प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव पर सदन में दोनों दिन मिलाकर कुल तीन घंटे की चर्चा के बाद यह ध्वनिमत से पारित हो गया.

क्या कहा कानून मंत्री मलय घटक ने : प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री मलय घटक ने दावा किया कि नये कानूनों को हड़बड़ी में लागू किया गया है. देश में यह पहली बार है, जब विधि आयोग और सभी हितधारकों से बिना किसी चर्चा के कानूनों को लागू कराया गया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि विधि आयोग से लेकर बार काउंसिल, कानूनविदों और राज्यों किसी से राय नहीं ली गयी. उन्होंने कहा कि तीनों विधेयक पिछले साल 20 दिसंबर को लोकसभा में 147 सांसदों को संसद से निलंबित किये जाने के बाद और अगले दिन राज्यसभा में बिना पर्याप्त चर्चा के पारित किये गये थे. उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस नये कानून में कई कठोर प्रावधानों के जरिये लोगों की स्वाधीनता छीनने की कोशिश की गयी है. इसमें पुलिस को काफी शक्ति दी गयी है. इससे पुलिस का अत्याचार बढ़ेगा.

उन्होंने केंद्र सरकार से लोगों के हित में न्यायविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों के आम सहमति वाले विचारों को विकसित करने और मौलिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए नये कानूनों की समीक्षा करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों की समीक्षा के लिए राज्य सरकार ने हाल में सात सदस्यीय विशेष समिति भी गठित की है. समिति तीन महीने में रिपोर्ट देगी. उन्होंने कहा : चूंकि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, ऐसे में राज्य को भी अधिकार है कि हम इन कानूनों में संशोधन कर सकते हैं. समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम आगे कदम उठायेंगे.

भाजपा विधायकों ने किया विरोध

विरोधी दल भाजपा के विधायकों ने प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि नये कानून समाज के कई वर्गों में उचित विचार-विमर्श के बाद लागू किये गये हैं और आरोप लगाया कि तृणमूल सदस्यों ने इसे राजनीतिक मकसद से प्रस्ताव पेश किया है. इस संबंध में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह प्रस्ताव सिर्फ राजनीति करने के लिए पेश किया गया है, इसका कोई फायदा होनेवाला है. उन्होंने कहा कि जिस कानून को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी है और जो पूरे देश में लागू हो चुका है, उसके खिलाफ इस प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है.

विपक्ष के नेता ने राज्य सरकार को लव जिहाद और घुसपैठ के खिलाफ कानून बनाने का दिया सुझाव

कोलकाता. राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में नये कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसका विरोध करते हुए विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह प्रस्ताव लाने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि तीनों कानून देश में लागू हो चुके हैं. उन्होंने राज्य सरकार को घुसपैठ व लव जिहाद के खिलाफ राज्य विधानसभा में विधेयक लाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि हम सब इन विधेयकों का समर्थन करेंगे. राज्य में घुसपैठ की घटनाओं के कारण कई सीमावर्ती जिलों में एक विशेष समुदाय की जनसंख्या बढ़ रही है, जो कि बंगाल के काफी हानिकारक है. इसके साथ ही उन्होंने लव जिहाद को रोकने के लिए भी कानून बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि लव जिहाद के जरिये धर्मांतरण किया जा रहा है. कई राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाये गये हैं. पश्चिम बंगाल सरकार को भी ऐसी पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगर इस प्रकार का कानून लाती है, तो हम उसका पूरा समर्थन करेंगे.

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