रांची : झारखंड में अब प्राइवेट विवि की स्थापना से लेकर संचालन तक सरकार की पूरी नजर रहेगी. स्थापना से लेकर संचालन तक नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने मॉडल एक्ट तैयार किया है. नामांकन प्रक्रिया अॉनलाइन होगी. नामांकन में झारखंड के विद्यार्थियों के लिए कम से कम 25 प्रतिशत सीट आरक्षित रखना होगा, जबकि संस्थान द्वारा कुलाधिपति की नियुक्ति विजिटर/आगंतुक के अनुमोदन पर न्यूनतम एक वर्ष व अधिकतम तीन वर्ष के लिए की जायेगी. कुलाधिपति प्राइवेट विवि के प्रधान होंगे. यानी झारखंड के राज्यपाल प्राइवेट विवि के कुलाधिपति नहीं होंगे. कुलपति की नियुक्ति सर्च कमेटी के माध्यम से होगी. इसमें अब राज्य सरकार द्वारा मनोनीत एक गणमान्य व्यक्ति या राज्य सरकार द्वारा नामित उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के एक पदाधिकारी होंगे.
कई प्रकार की रखी गयी है शर्तें
इस एक्ट को झारखंड विधानसभा के चालू सत्र से पारित कराने की संभावना है. इस एक्ट के तहत अब कई शर्तें रखी गयी हैं. इनमें स्थापना के लिए नगर निगम सीमा के भीतर न्यूनतम पांच एकड़ भूमि तथा नगर निगम सीमा के बाहर न्यूनतम 15 एकड़ भूमि आवश्यक होगा. इस भूमि का स्वामित्व या एक पट्टेदार के रूप में तीन वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिए स्थायी पट्टा के माध्यम से दखल जरूरी होगा. विवि की स्थापना के लिए ऋण के अलावा अन्य किसी उद्देश्य के लिए इस जमीन का उपयोग नहीं होगा. स्थापना के लिए नगर निगम सीमा के अंतर्गत भूमि के लिए 10 करोड़ रुपये तथा नगर निगम सीमा के बाहर की भूमि के लिए सात करोड़ रुपये फिक्स होनी चाहिए. इसके अलावा भी संचालन को लेकर कई तरह की व्यवस्था का प्रावधान किया जा रहा है.
स्थापना के छह वर्ष के अंदर नैक से मूल्यांकन करना जरूरी
पुस्तकालय, सभागार, विद्यार्थी संसाधन केंद्र, खेल व्याख्यानशाला, प्रयोगशाला सहित प्रशानिक व शैक्षणिक उद्देश्य के लिए कम से कम 1200 वर्गमीटर निर्मित क्षेत्र होगा. स्थापना के लिए अब आवेदन पोर्टल के माध्यम से जमा होगा. इसके साथ पांच लाख रुपये शुल्क लगेंगे. शैक्षणिक कार्यक्रम के लिए यूजीसी, एआइसीटीइ, एमसीआइ, डीसीआइ, बीसीआइ, आइएनसी आदि जैसे निकायों से अनुमोदन लेना आवश्यक होगा. स्थापना के प्राप्त आवेदन व मापदंड की जांच के लिए उच्च शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में जांच कमेटी होगी. इस कमेटी में राजकीय विवि के दो कुलपति (रोटेशन पर), उशि विभाग, वित्त विभाग, विधि विभाग, राज्य निबंधन विभाग के संयुक्त सचिव सहित भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता सदस्य होंगे. स्थापना के छह वर्ष के भीतर नैक से मूल्यांकन कराना जरूरी होगा. सरकार से ऐसे विवि को कोई अनुदान नहीं दिया जायेगा.