मोहनिया सदर. प्रभात खबर द्वारा विगत 24 जुलाई को बघिनी विद्यालय में शैक्षणिक माहौल खराब करने वाले शिक्षकों पर कसेगा शिकंजा नामक शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद शिक्षा विभाग अपनी गहरी नींद से जाग गया और राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बघिनी में शैक्षणिक माहौल खराब करने वाले शिक्षक व शिक्षिकाओं पर लगाये गये आरोपों की जांच करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अधिकारियों की तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया. जांच टीम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा, साक्षरता अक्षय कुमार पांडेय, कार्यक्रम पदाधिकारी शंभू कुमार सिंह व प्राथमिक शिक्षा व सर्व शिक्षा अभियान लेखा पदाधिकारी को शामिल किया गया है. जांच टीम को प्रधानाध्यापक काशी प्रसाद व शिक्षक विनय कुमार सिंह, राजेश कुमार, राकेश कुमार पांडेय, अखिलेश कुमार सिंह, चंदन कुमार, शिक्षिका किरण रावत व सुनीता कुमारी के बीच उपजे विवादों की जांच कर तीन दिनों के अंदर जांच प्रतिवेदन जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपने का निर्देश दिया गया है. राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बघिनी के प्रधानाध्यापक काशी प्रसाद द्वारा विद्यालय में कार्यरत कुछ शिक्षकों पर पठन-पाठन का कार्य प्रभावित करने व विद्यालय में राजनीति करने सहित कई गंभीर आरोप लगाये गये थे और इससे संबंधित शिकायत पत्र जिला से लेकर राज्य स्तर के पदाधिकारियों को दिया गया था. इस मामले को लेकर उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा अब्दुस सलाम अंसारी ने पत्रांक संख्या 1305, 13 मई 2024 को पत्र जारी करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया था कि इस मामले की जांच कर दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई करना सुनिश्चित करें. लेकिन, जिला में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान नहीं लिया और इस पूरे मामले को ठंडे बस्ता में डालने की कोशिश की गयी. जबकि, यह मामला सीधे सीधे विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य से जुड़ा हुआ है, जिसे गंभीरता से लेते हुए आपके अपने समाचार पत्र प्रभात खबर द्वारा जब इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया, तक इसके कुछ ही दिन बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय पदाधिकारियों की जांच टीम का गठन किया गया. हालांकि, जांच टीम को तीन दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन यह जांच टीम कब अपनी जांच रिपोर्ट देगी, यह कह पाना मुश्किल है. यदि जिला शिक्षा पदाधिकारी के उस पत्र का अवलोकन करें, तो उसमें लिखा गया है कि कार्यालय के पत्रांक 1191/ स्थापना, 04 जुलाई, पत्रांक 1239/ स्था, 10 जुलाई व पत्रांक 1283/ स्था, दिनांक 19 जुलाई 2024 जारी कर विद्यालय के प्रधानाध्यापक काशी प्रसाद को बुलाया गया, लेकिन वह सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुए. जबकि, प्रधानाध्यापक काशी प्रसाद ने वरीय पदाधिकारियों को दिये गये अपने सभी आवेदनों में यह मांग की थी कि विद्यालय में आमसभा आयोजित कर दोनों पक्षों को सुना जाये व इस दौरान जो भी दोषी पाया जाये, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाये. लेकिन, संबंधित पदाधिकारी भी नहीं चाहते हैं कि इस मामले की सुनवाई विद्यालय में आमसभा आयोजित कर की जाये, जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.
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