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शिक्षा सप्ताह के छठे दिन बच्चों ने किया पौधरोपण, अनानास व चाय की खेती की ली जानकारी

सरकारी स्कूलों में इन दिनों शिक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है. शिक्षा सप्ताह के छठे दिन को बच्चों ने इको कल्ब फॉर मिशन लाइफ के रुप में मनाया.

ठाकुरगंज..सरकारी स्कूलों में इन दिनों शिक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है. शिक्षा सप्ताह के छठे दिन को बच्चों ने इको कल्ब फॉर मिशन लाइफ के रुप में मनाया. स्वच्छता और हरियाली को आगे बढ़ाते हुए स्कूल के टीचर और बच्चों द्वारा पौधरोपण किया गया. वहीं इस दौरान उत्क्रमित मध्य विद्यालय गौथरा के आठवी कक्षा के बच्चों ने अनानास और चाय बागान जाकर इन दोनों फसलों के सम्बंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की.

इस दौरान विद्यालय के शिक्षक चन्द्रशेखर भी साथ थे . बताते चले इन दिनों बच्चों में शैक्षणिक सुधार को लेकर विद्यालय में कई तरह की गतिविधियां चलायी जा रही है. तीन अगस्त 2024 तक विद्यालय स्तर पर शिक्षा सप्ताह का आयोजन कराने का निर्देश दिया गया है . निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने भेजे पत्र में आदेश दिया है की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर विभाग द्वारा तीन अगस्त 2024 तक विद्यालय स्तर पर शिक्षा सप्ताह आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. इस आयोजन के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ राज्य में शिक्षा सुधारों के संबंध में अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होगा. शिक्षा सप्ताह के आयोजन को लेकर तिथिवार एवं थीमवार गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. इसलिए निर्धारित की गयी अवधि में प्रत्येक कार्य दिवस को निर्धारित थीम एवं विषय वस्तु पर सभी विद्यालयों में शिक्षा सप्ताह का आयोजन हो रहा है.

अलग-अलग दिवस के लिए अलग थीम निर्धारित

निदेशक प्राथमिक शिक्षा की ओर से जारी आदेश में शिक्षा सप्ताह के तहत हर दिन के लिए अलग -अलग थीम विषय वस्तु निर्धारित की गयी. मसलन, पहला दिन सामुदायिक सहभागिता दिवस व दूसरा दिन सोमवार को टीएलएम दिवस के रूप में मनाया जायेगा. जबकि तीसरा दिन 30 जुलाई को एफएलएन दिवस, चौथा दिन 31 जुलाई को खेल दिवस, पांचवां दिन एक अगस्त को सांस्कृतिक दिवस, छठा दिन दो अगस्त को कौशल और डिजिटल पहल दिवस तथा शिक्षा सप्ताह के अंतिम दिन तीन अगस्त को मिशन लाइफ स्कूल पोषण दिवस के रूप में मनाया जायेगा.

छात्रों ने किया चाय और अनानास की खेतों का भ्रमण

इस दौरान चाय और अनारस खेतों का भ्रमण कर छात्रों को फसलों की जानकारी देते हुए फसलों में लगने वाले प्रमुख रोग, कीट प्रबंधन की भी जानकारी दी. स्कुल के शिक्षक चंद्रशेखर ने बताया की इस दौरान स्कूल के छात्रों के कृषि संबंधित पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए गए. इस मौके पर विद्यार्थियों को कृषि के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने, युवाओं के लिए कृषि के क्षेत्र में व्यापक संभावनाओं की जानकारी दी.छात्रों को बताया गया कि छात्र संयुक्त प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण कर 12 वीं कक्षा के बाद कृषि कॉलेज में प्रवेश ले सकते हैं. इस दौरान छात्रों से चर्चा करते हुए शिक्षक चन्द्रशेखर ने जानकारी दी कि चाय की खेती सबसे ज्यादा असम राज्य में होती है. यहां की मौसम और मिट्टी चाय की उच्च गुणवत्ता वाली खेती के लिए अनुकूल होती हैं. असम की भूमि पर्याप्त वर्षा, उपयुक्त धरती, और उच्च बारिश के क्षेत्रों में फैली होती है, जो इसे अनुकूल बनाते हैं. इसके अलावा, असम में चाय की खेती के लिए बड़ी संख्या में उच्च जलवायु, उच्च औषधीय मूल्य और भूमि की उपयुक्तता होने का भी फायदा होता है. असम के अलावा दूसरे प्रमुख चाय उत्पादन राज्यों में वेस्ट बंगाल, तमिलनाडु, केरल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम और बिहार का एक हिस्सा शामिल है वही छात्रों को अनानास की खेती के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षको ने बताया की भारत में मुख्य रूप से अनानास की खेती आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, केरल और असम में पारंपरिक तौर से अनानास की खेती की जाती रही है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के किसान भी इसकी खेती करने लगे हैं.

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