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Sasaram News: मिडडे मील में परोसे गये खाने में मिली संदिग्ध पोटली, एक छात्र को हुई फूड प्वाॅयजनिंग

Sasaram News: करगहर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय जलालपुर में शुक्रवार को मिडडे मील में परोसे गये छोले में एक संदिग्ध पोटली पाये जाने के बाद हड़कंप मच गया. तत्काल भोजन रोक दिया गया. खाने की शुरुआत करने वाले नौ बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करगहर लाया गया, जहां सभी बच्चे स्वस्थ हैं.

Sasaram News: मध्य विद्यालय जलालपुर के हेडमास्टर रामनारायण साह ने बताया कि विद्यालय में मिडडे मील एनजीओ द्वारा संचालित है. शुक्रवार को खाने में चावल-छोला बच्चों को परोसा गया. तभी एक बच्ची द्वारा छोले में कपड़े की छोटी पोटली मिलने की बात कही गयी. इसकी जानकारी मिलते ही तत्काल भोजन रोक दिया गया. एक बच्ची द्वारा पेट में दर्द होने की शिकायत पर एंबुलेंस को सूचना दी गयी. लेकिन उसके पहले पहुंचे एमडीएम डीपीओ रवींद्र कुमार ने अपनी सरकारी गाड़ी से बच्चों को अस्पताल पहुंचाया, जहां नौ बच्चों की जांच की गयी. एमडीएम प्रभारी ने बताया कि आठ बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं, जबकि एक बच्ची के पेट में दर्द है. फूड प्वाॅयजनिंग की बात भी कही गयी है, जिसका इलाज किया जा रहा है. डीपीओ ने कहा कि मामले की जांच होगी.

हरे रंग की मिली पोटली

प्रधानाध्यापक ने बताया कि छोले में हरे रंग की पोटली मिली है, जो बंधा हुई है. उसे खोला नहीं गया है और जांच के लिए अधिकारियों को सौंप दिया गया है. बताया कि नौ बच्चों को अस्पताल लाया गया था. इसमें नेहा कुमारी (12), अंशु कुमार (7), ऋषि कुमार (10), अंकुर कुमार(8), अंशिका कुमारी (7), श्वेता कुमारी (8), प्रियांशु कुमार (6), काजल कुमारी (8) और शिवानी कुमारी (10) शामिल हैं. बताया कि आठ बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं जबकि एक बच्ची का इलाज चल रहा है. अस्पताल में बच्चों का इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ उत्तम कुमार ने बताया कि सभी बच्चे स्वस्थ हैं. बच्चों के शरीर में जहर का अंश नहीं है. एक बच्ची, जिसके पेट में दर्द की शिकायत थी, वह भी ठीक हो चुकी है. उसे भी अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.

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इसके पहले मिला था चूहा

विगत 23 जुलाई को उर्दू प्राथमिक विद्यालय सहुआड में सब्जी में जो चूहा पाया गया था, उस चूहे के शरीर का एक बाल भी नहीं जला था. इससे प्रतीत होता है कि चूहे को मारकर किसी द्वारा बच्चों के खाने के प्लेट में रख दिया गया था. ठीक उसी प्रकार शुक्रवार जब छोले में एक छोटी सी पोटली पायी गयी, तो वहां मौजूद कुछ लोगों द्वारा खाने में सल्फास की पोटली होनी की अफवाह फैलायी गयी. इससे खाना खाने वाले बच्चे और उनके अभिभावकों में दहशत का माहौल कायम हो गया. सबसे हैरतअंगेज बात यह कि पोटली में जो दवा जैसी वस्तु होने की बात कही जा रही है, वह बिल्कुल गली नहीं थी. इससे साबित होता है कि एनजीओ के द्वारा स्कूलों में खाना भेजने के बाद बच्चों के खाने में कौन चूहा और संदिग्ध पोटली रख रहा है. यह गंभीर जांच का विषय बन रहा है. कहीं, एनजीओ को बदनाम करने की साजिश तो नहीं रची जा रही है.

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