दाउदनगर. खरीफ फसल की खेती के लिए जुलाई बहुत ही अहम है. लेकिन जुलाई में किसान बारिश के इंतजार में रह गये. जुलाई में मात्र 23.02 एमएम ही बारिश हुई. उम्मीद के अनुरूप बारिश नहीं हुई. कुछ इलाकों में पंपिंग सेट और नहर के सहारे किसानों ने थोड़ी-बहुत रोपनी जरूर की. बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे पर मायुसी छा गयी थी, लेकिन अगस्त की शुरुआत खेती के लिए अच्छा संकेत लेकर आया है. दो दिनों में अच्छी बारिश हुई है, जो खेती के लिए अच्छा माना जा रहा है. प्रखंड कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को 32.8 एमएम व शुक्रवार को 9.6 एमएम बारिश हुई है. गुरुवार की रात में मूसलधार बारिश हुई. शुक्रवार को भी दिन में मूसलधार बारिश हुई है. खेतों में पानी जमा हो गया है. दाउदनगर के इलाके को धान का कटोरा कहा जाता है. दो दिनों की बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. रोपनी में तेजी आयी है. 15 अगस्त तक के समय को धान रोपनी के लिए बेहतर समय माना जाता है. किसानों की बेहतर फसल का मुख्य दारोमदार मौसम और पानी पर ही निर्भर है. इसलिए किसानों को उम्मीद है कि शायद इसी तरह इंद्रदेव अपनी कृपा बरसाते रहे, ताकि समय पर रोपनी हो जाये और अच्छी फसल हो. दाउदनगर प्रखंड में लगभग 12 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. प्रखंड कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक लगभग 54 प्रतिशत धान की रोपनी की जा चुकी है. करमा पंचायत में 43.57,बेलवां में 55.19, तरार में 26.48, मनार में 36.04, अंछा में लगभग 70, तरारी में 33.42, अंकोढ़ा में 48.68, महावर में 79.2, सिंदुआर में 89.91, गोरडीहां में 37.58, चौरी में 32.89 कनाप में 38.82 संसा में 59.50, शमशेर नगर में 93.50, अरई में 78.55 और नगर पर्षद क्षेत्र में 69.75 प्रतिशत धान की रोपनी हो चुकी है. जो इलाके नहर से सटे हुए हैं, वहां रोपनी का प्रतिशत अधिक है. दाउदनगर क्षेत्र के किसानों के आर्थिक ढांचे पर कृषि का गहरा असर है. कृषि का सिस्टम अगर बिगड़ता है, तो किसानों के आर्थिक ढांचे पर इसका गहरा असर पड़ सकता है. पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है. किसानों के बहुत सारे ऐसे कार्य हैं, जिसके लिए उनका एकमात्र सहारा खेती ही है. बच्चों की पढ़ाई- लिखाई से लेकर शादी-विवाह तक में खर्च करने के लिए बेहतर खेती पर किसानों की उम्मीद टिकी रहती है.
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