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महंगाई को लेकर भाजपा का हंगामा, सदन से वॉकआउट

विधानसभा. विपक्ष ने राज्य सरकार पर आवश्यक वस्तुओं की बढ़तीं कीमतों पर नियंत्रण रखने में विफल रहने का लगाया आरोप

विधानसभा. विपक्ष ने राज्य सरकार पर आवश्यक वस्तुओं की बढ़तीं कीमतों पर नियंत्रण रखने में विफल रहने का लगाया आरोप भाजपा विधायकों ने सदन के अंदर व बाहर किया प्रदर्शन कोलकाता. भाजपा के विधायकों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़तीं कीमतों को लेकर शुक्रवार को राज्य विधानसभा में विरोध प्रदर्शन करते हुए सदन से वाॅकआउट किया. भाजपा विधायकों ने महंगाई की निंदा करते हुए कागज की प्लेट दिखाते हुए विधानसभा के भीतर और बाहर भी प्रदर्शन किया. राज्य में आलू-प्याज सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के विरोध में विपक्षी भाजपा के विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया. मूल्यवृद्धि पर राज्य सरकार की भूमिका के खिलाफ सदन में चर्चा की मांग पर भाजपा ने कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया था. जिसे पर चर्चा कराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सहमत हुए. उन्होंने सदन में चर्चा के लिए अनुमति दे दी. भाजपा विधायक नरहरि महतो ने कार्य स्थगन प्रस्ताव सदन में रखा था. पार्टी के इस प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि महंगाई पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सार्वजनिक घोषणा व अधिकारियों को सख्त चेतावनी के बावजूद आलू, प्याज और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बिचौलियों की भूमिका पर अंकुश लगाने में विफल रही है. उन्होंने बिजली दरों में वृद्धि का भी मुद्दा उठाया. सरकार के जवाब से असंतुष्ट सदन में मौजूद भाजपा के करीब 30 विधायकों ने ‘एतो दाम खाबो की’(इतनी कीमत, हम क्या खायेंगे) का नारा लगाते हुए सदन से वॉकआउट किया. राज्य सरकार बिचौलियों पर आंखें मूंदी है : भाजपा : विधानसभा के बाहर प्रदर्शन के दौरान भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाॅल ने कहा : मंत्री सदन में दावा कर रहे हैं कि आलू 28 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. लेकिन खुले बाजार में इसकी वास्तविक कीमत 40 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है. सरकार बिचौलियों की भूमिका पर आंखें मूंद हुए है. मुख्यमंत्री केवल दिखावे में विश्वास करती हैं. भाजपा विधायकों के वाॅकआउट पर अध्यक्ष ने जतायी नाराजगी : वहीं, भाजपा के वाॅकआउट और विरोध प्रदर्शन पर विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने नाराजगी जताते हुए बाद में संवाददाताओं से कहा कि भाजपा का एक राजनीतिक एजेंडा था. अन्यथा जब मैंने उन्हें प्रस्ताव पेश करने की अनुमति दी थी और सदन में इसपर चर्चा हुई, तो वे वाॅकआउट और इस तरह का विरोध क्यों करते. भाजपा विधायकों ने बिजली की दरों में वृद्धि का भी मुद्दा उठाया: इसी बीच, विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष सहित अन्य भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के स्वामित्व वाली और निजी बिजली कंपनियां असामान्य रूप से बिजली की दरें बढ़ा रही हैं, जिससे आम आदमी प्रभावित हो रहा है. इस पर कृषि मंत्री ने दावा किया कि राज्य में सरकार के नियंत्रण वाली बिजली कंपनी डब्ल्यूबीएसइडीसीएल की बिजली दरें देश में सबसे कम हैं, जबकि कोलकाता में निजी बिजली कंपनी सीइएससी को सरकार ने अपना स्लैब तर्कसंगत और किफायती रखने के लिए कहा है. सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन में मौजूद करीब 30 भाजपा विधायकों ने ””””एतो दाम खाबो की?”””” जैसे नारे लिखीं तख्तियां और कागज की खाली प्लेट लेकर प्रदर्शन करते हुए सदन से बाहर निकल गये. शुभेंदु के नेतृत्व में विधायकों ने विधानसभा गेट के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया. इसके जवाब में मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने राज्य की बिजली कंपनी ‘पश्चिम बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड’ (डब्ल्यूबीएसइडीसीएल) की बिजली दर को देश की न्यूनतम बिजली दरों में से एक बताया. बिजली मंत्री अरूप विश्वास ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में बिजली दरें बढ़ायी गयी हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में डब्ल्यूबीएसइडीसीएल प्रति यूनिट 7.12 रुपये की दर से बिजली उपलब्ध करा रही है. वर्ष 2016 के बाद अब तक बिजली की दरों की राज्य सरकार ने किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की है. महंगाई पर सरकार के दावे का भाजपा ने किया विरोध इस पर कृषि मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री की चेतावनी के बाद टास्क फोर्स के सदस्यों द्वारा बाजारों में लगातार छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है. इस वजह से आलू की कीमत में कमी आयी है और फिलहाल 28 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है. इसके बाद विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी सहित भाजपा के अन्य विधायकों ने उनके दावे का खंडन करते हुए कड़ा विरोध जताया. मंत्री ने बाद में मीडिया के समक्ष स्पष्ट किया कि उनके कहने का मतलब यह था कि 600 सरकारी आवश्यक वस्तुओं की दुकानों (सुफल बांग्ला) में आलू 28 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है और इससे अन्य दुकानों में भी आलू की कीमतें कम करने में मदद मिली है. उन्होंने सदन में यह दावा भी किया कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मूल्यवृद्धि हुई है. केंद्र सरकार ने महंगाई रोकने के लिए कदम नहीं उठाये हैं. यहां तक कि आवश्यक वस्तु अधिनियम को भी निरर्थक बना दिया है, जिससे राज्य के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करना मुश्किल हो गया है.

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