Kishore Kumar इंडस्ट्री के हरफनमौला कलाकार थे, जिसने अपने अभिनय और आवाज के दम पर दुनिया में लोहा मनवाया है. उन्होंने अपनी आवाज में 25 हजार से अधिक गाने हिंदी सहित कई भाषाओं में गाए हैं. आज इसी महान गायक की 95वीं जयंती है. इस मौके पर आज आपको उनके अन्होखे नेमप्लेट्स के किस्से के बारे में बताएंगे, जिन्हें सुनकर आप दंग रह जायेंगे.
दूध जलेबी के शौकीन थे किशोर कुमार
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में एक गांगुली परिवार में हुआ था. उनका असली नाम आभास कुमार है. आभास उर्फ किशोर कुमार को अपने शहर खंडवा से बहुत लगाव था. इतना कि वह जहां भी जाते थे अपनी पहचान किशोर कुमार खंडवे वाले से देते थे. वह जितना इस जगह को पसंद करते थे, उससे कई ज्यादा वह यहां की लाला जलेबी वाले की दूध-जलेबी को पसंद करते थे. यही वजह है कि जितना प्यार उन्होंने अपने शहर को लिया उतना ही प्यार उनका शहर उनसे करता है और हर साल इस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाते हैं.
किशोर कुमार के गाने
किशोर कुमार ने साल 1946 की फिल्म शिखरी से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. हालांकि, वह एक्टिंग से ज्यादा गायकी में दिलचस्पी रखते थे. उन्होंने इंडस्ट्री को 1500 से अधिक एवरग्रीन गाने दिए हैं, जिन्हें सुनकर आज भी दर्शकों को सुकून मिलता है. इसमें मेरे सपनो की रानी, ओ मेरे दिल के चैन, रूप तेरा मस्ताना समेत कई गाने शामिल हैं. साल 1970 में उन्हें रूप तेरा मस्ताना गाने के लिए अपना फिल्मफेयर अवार्ड मिला था.
किशोर कुमार के विचित्र नेमप्लेट्स
किशोर कुमार बहुत ही अलग और बिंदास मिजाज के व्यक्ति थे. उन्होंने अपने खंडवा वाले घर के नेमप्लेट पर मानसिक अस्पताल लिखवाया था. वहीं, अपने मुंबई वाले घर के बाहर उन्होंने किशोर से सावधान नाम का नेमप्लेट लगवाया था. इसके अलावा उनके बारे में एक और बात थी, जिसकी वजह से लोग उनके साथ काम करने से पहले दस बार सोचते थे. दरअसल, किशोर कुमार ने बिना फीस के कोई भी गाना नहीं गया. यहां तक कि वह अपने हर गाने से पहले एडवांस पेमेंट ले लेते थे. अगर उन्हें आधी पेमेंट मिलती तो वह काम भी अधूरा छोड़ देते थे. किशोर कुमार अपने समय पर सबसे ज्यादा पेमेंट लेने वाले गायक थे.
किशोर कुमार ने चार शादियां की
किशोर कुमार के निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने अपनी जिंदगी में 4 चार शादियां की. पहली रूमा गुहा, दूसरी मधुबाला, तीसरी योगिता बाली और चौथी लीना चंदावरकर थीं. इन्होंने मधुबाला से शादी के बाद इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था और अपना नाम किशोर से करीम अब्दुल रख लिया था. वहीं, उनकी बीवी लीना उनसे 21 साल छोटी थीं.
किशोर के समाधि पर दूध जलेबी चढ़ाई जाती है
किशोर कुमार रिटायरमेंट के बाद अपने शहर खंडवा रहना चाहते थे लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था. 13 अक्टूबर 1987 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. इसके बाद उनकी समाधि उन्हीं के शहर में बनवाई गई. आज के समय में उनके प्रशंसक अपने पसंदीदा कलाकार की पसंद दूध जलेबी को उनके समाधि पर चढ़ाते हैं.
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