Munger News : मुंगेर. स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत खाद्य विभाग भी संचालित होता है, जिसकी जिम्मेदारी जिले के बाजार में बिकने वाली खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच करना है, ताकि बाजार के दूषित खाने को खाकर लोग बीमार न पड़ें. पर, मुंगेर जिले का खाद्य कार्यालय केवल एक चतुर्थवर्गीय कर्मी और एक डाटा ऑपरेटर के भरोसे चल रहा है. हद तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधीन संचालित जिला खाद्य कार्यालय सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के केवल एक कमरे में संचालित हो रहा है. यही नहीं खाद्य निरीक्षक (फूड इंस्पेक्टर) के पास तीन जिलों का प्रभार है, जो केवल सोमवार प मंगलवार को मुंगेर कार्यालय में केवल कागज पर ही बैठते हैं. पूर्व में जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान फूड इंस्पेक्टर के मुख्यालय में न होने के कारण उनके वेतन पर भी रोक लगायीथी.
एक चतुर्थवर्गीय कर्मी और डाटा ऑपरेटर के भरोसे फूड डिपार्टमेंट
मुंगेर जिला खाद्य कार्यालय एक चतुर्थवर्गीय कर्मी सकलदेव यादव और डाटा ऑपरेटर कृष्णा कुणाल के भरोसे संचालित हो रहा है. फूड इंस्पेक्टर अर्जुन प्रसाद के पास मुंगेर जिले के अतिरिक्त जमुई और लखीसराय जिले का प्रभार भी है, इसलिए सप्ताह में केवल सोमवार और मंगलवार को ही मुख्यालय में बैठते हैं. पर, वह भी केवल कागज पर ही सप्ताह में दो दिन मुंगेर में उपलब्ध रहते हैं. साल 2023 के मार्च माह में जिलाधिकारी के सदर अस्पताल निरीक्षण के दौरान भी फूड इंस्पेक्टर के मुख्यालय में उपलब्ध नहीं होने के कारण उनके वेतन पर रोक लगायी गयी थी.
पोस्टमार्टम हाउस में चल रहा खाद्य विभाग
लोगों को दूषित भोजन से होनेवाली बीमारियों से बचाने वाले जिला खाद्य कार्यालय के पास अपना कार्यालय भवन तक नहीं है. सालों से सदर अस्पताल के नये पोस्टमार्टम हाउस के एक कमरे में ही खाद्य विभाग का संचालन हो रहा है. यहां जांच के नाम पर बाजार से ली जाने वाले खाद्य सामग्री को रखने के लिए एक फ्रीज, एक अलमारी और दो टेबुल-कुर्सी के अलावा कुछ भी नहीं है. इस एक कमरे के कार्यालय में फूड इंस्पेक्टर, डाटा ऑपरेटर और चतुर्थवर्गीय कर्मी बैठते हैं. स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को खाद्य विभाग संचालित होने की जानकारी तक नहीं है.
न जांच, न कार्रवाई, बीमार हो रहे लोग
खाद्य विभाग की खस्ता हालत के कारण जिले के बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की जांच सही से नहीं हो पाती है. इसके कारण आये दिन बाजार के दूषित खाद्य सामग्रियों के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. फूड इंस्पेक्टर के पास तीन-तीन जिलों का प्रभार होने के कारण न जांच हो पाती है और न ही दूषित भोजन बेचने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई हो पाती है. सदर अस्पताल में जनवरी से जुलाई के बीच सात माह में जहां टाइफाइड के 30 से अधिक मरीज इलाज के लिए आ चुके हैं, वहीं जनवरी से जुलाई के बीच डायरिया के 1,908 मरीज आ चुके हैं. इनमें लगभग 500 से अधिक मरीज गर्मी और ठंड के दिनों में बाजार के दूषित भोजन के कारण इलाज के लिए आये हैं. सदर अस्पताल में जून माह में फूड प्वाइजनिंग के चार मामले आये थे. इसमें तीन मामलों में बाजार का खाना खाकर 13 से 17 साल के किशोर बीमार पड़ेथे. जबकि एक मामले में 63 वर्षीय वृद्ध की तबीयत बाहर का खाना खाने के बाद बिगड़ गयी थी.
आलमारी में बंद पड़े हैं रिकॉर्ड
मुंगेर जिला खाद्य विभाग की बदहाली का आलम यह है कि यहां डाटा ऑपरेटर होने के बावजूद अबतक किसी भी जांच और कार्रवाई की रिपोर्ट तक ऑनलाइन नहीं है. हालांकि फूड इंस्पेक्टर अर्जुन प्रसाद के अनुसार समय-समय पर जांच अभियान चलाया जाता है, जिसमें बाजार से लिये गये खाद्य सैंपलों को जांच के लिए पटना भेजा जाता है. पर, फूड विभाग द्वारा अबतक कितने जांच सैंपल लिये गये और कितने के विरुद्ध कार्रवाई की गयी, इसकी जानकारी कार्यालय के एक जर्जर अलमारी में रखी है. अब ऐसे में फूड विभाग के कार्य को खुद ही समझा जा सकता है.