डुमरी.
डुमरी प्रखंड स्थित रजावल चर्च में संत जॉन मेरी वियानी का पर्व मनाया गया. मौके पर चर्च में मिस्सा पूजा हुई. मुख्य अधिष्ठाता फादर अलोइस ठिठिओ ने पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया. सहयोगी के रूप में फादर इलियास मिंज व फादर एडवर्ड लकड़ा मौजूद थे. मुख्य अधिष्ठता फादर अलोइस ने कहा कि संत जॉन मेरी वियानी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने से सही से उनकी शिक्षा-दीक्षा नहीं हो पायी. इससे संत जॉन मेरी वियानी पढ़ाई में काफी कमजोर थे. इसके बावजूद अपनी कड़ी मेहनत के बल पर 1818 में पुरोहित बने. इसके बाद उन्हें अर्स पल्ली का पुरोहित बनाया गया. पल्ली के लोग ईश्वर पर विश्वास नहीं करते थे. वहां के सभी लोग नास्तिक थे. वहां के सभी लोग भोग विलास की जिंदगी जी रहे थे और बुराई के मार्ग में चल रहे थे. यह सब देखते हुए उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना, विनती के बल पर अर्स पारिश के लोगों का मन बदल दिया. लोगों को सही रास्ते में लाया. लोगों की भलाई के लिए वे प्रतिदिन 18 से 19 घंटे तक ईश्वर से प्रार्थना करते थे. यही कारण था कि वे अर्स पल्ली के लोगों को बुराई से निकाल कर ईश्वर का मार्ग दिखाया. अर्स पल्ली को पवित्र पल्ली के रूप में परिवर्तित कर दिया. इसलिए हम सभी अपने गांव घर को सुंदर बनाने के लिए काम करें. मौके पर कोयर दल संचालन फादर अमरदीप किंडो ने की. कार्यक्रम में फादर दोमनिक, ब्रदर जॉनसन बेग, सिस्टर रोसालिया, सिस्टर इरमिना किंड़ो, सिस्टर मीना तिर्की, सिस्टर बियानी तिर्की आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है