पूसा : मौजूदा समय आम के नये बागों को लगाने के लिए काफी उपयुक्त है. जून से सितंबर माह तक आम के नये बाग लगा सकते हैं. यह बातें डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि के सह निदेशक अनुसंधान एवं अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. संजय कुमार सिंह ने कही. उन्होंने कहा कि आम के नये बागों की स्थापना किसानों के लिए एक दीर्घकालिक निवेश है. बागों को लगाने से पूर्व किसानों द्वारा तैयार उचित योजना और ले आउट प्रमुख भूमिका निभाता है. किसानों को भूमि का चयन करना होता है. बाग अगर मुख्य सड़क और स्थानीय बाजार के समीप होते हैं, तो इसे काफी अच्छा माना जाता है. इससे किसानों को विपरीत मौसम में भी आम को वाहन के माध्यम से मंडियों तक पहुंचाने में सहूलियत होती है. पेड़ों की वृद्धि और बेहतर फल उत्पादन के लिए चयनित स्थल पर सिंचाई की सुविधा, उपयुक्त जलवायु और अच्छी मिट्टी का होना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि भूमि को अच्छी तरह से समतल करने के बाद किसान जल निकासी के उद्देश्य से प्लॉट को एक दिशा से दूसरी दिशा की ओर ढलान कर दें. लंबी प्रजाति के आम जैसे मालदा या लंगड़ा, चौसा, फजली आदि को प्लॉट में 12 मीटर × 12 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. जबकि बौनी प्रजाति के आम दशहरी, नीलम, तोतापरी और बॉम्बे ग्रीन जैसी प्रजाति को किसान 10 मीटर × 10 मीटर की दूरी पर लगा सकते हैं. उन्होंने बताया कि गड्ढा खोदने के बाद किसान गड्ढों में कम से कम 2 से 4 सप्ताह तक सीधी धूप जरूर लगने दें. इसके बाद ही गड्ढों में उर्वरक मिली हुई मिट्टी भरें. इन प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद किसान गड्ढों में आम के पौधों को लगायें.
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