कोलकाता. राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने रविवार को कहा कि ””निष्क्रिय राज्यपाल”” की अवधारणा अब खत्म हो गयी है और निर्वाचित मुख्यमंत्री को सरकार का ””मुखर चेहरा”” होना चाहिए. वहीं, मनोनीत राज्यपाल को निर्वाचित प्रतिनिधियों के ””मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक”” के रूप में पृष्ठभूमि में रहना चाहिए. राज्यपालों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली आये बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने एक साक्षात्कार में कहा कि राज्यपाल संविधान के संरक्षक हैं और संघवाद के गार्जियन हैं, लेकिन कोई ””रबर स्टैंप”” नहीं हैं. श्री बोस, जिनका राज्य में तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ अक्सर टकराव होता रहा है, उन्होंने उनके तनावपूर्ण संबंधों पर भी बातचीत की. बिना किसी लाग-लपेट के उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का व्यक्तिगत रूप से सम्मान करते हैं और उनके साथ उनके प्रोफेशनल संबंध हैं. लेकिन ‘राजनेता ममता बनर्जी’ उनके लिए ठीक नहीं हैं. बंगाल की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, इसके लिए सरकार को श्वेत-पत्र जारी करना चाहिए.राज्यपालों के सम्मेलन के बारे में बात करते हुए बोस ने इसे “परिवर्तनकारी ” और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप बताया.
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