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Prabhat Khabar 40 Years: ‘गांव गोद’ ने झारखंड-बिहार के 8 गांवों के हालात बदले

Prabhat Khabar 40 Years: प्रभात खबर ने संकल्प लिया था, छोटे-छोटे प्रयासों से गांवों के हालात बदलने का. हमारी कोशिशों से झारखंड-बिहार के आठ गांवों के हालात बदले.

विजय पाठक

Prabhat Khabar 40 Years: प्रभात खबर ने संकल्प लिया था, छोटे-छोटे प्रयासों से गांवों के हालात बदलने का. हमारी कोशिशों से हालात बदले. आज भी झारखंड-बिहार के आठ गांव विकास की राह पर हैं. इन गावों में आज भी सरकार की योजनाएं प्राथमिकता के तौर पर ली जा रही हैं. यह पहल प्रभात खबर की थी. जहां विकास की रोशनी नहीं पहुंची थी, उन गांवों की बुनियादी समस्याओं को हल करने का प्रभात खबर ने रास्ता निकाला था.

यूं तो यह काम सरकारी एजेंसियां, बड़े-बड़े कॉरपोरेट घराने करते हैं. पर पहली बार एक अखबार प्रभात खबर ने यह बीड़ा उठाया. सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि झारखंड और बिहार के आठ गावों को गोद लिया. अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत इन गावों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी थी, सरकार और जन प्रतिनिधियों की मदद से गावों में विकास योजनाएं भी शुरू की गयीं. आज भी इन गावों में जायेंगे, तो विकास दिखेगा. सड़कें दिखेंगी. स्कूलों में शिक्षक मिलेंगे. डॉक्टर्स जाते हैं स्वास्थ्य केंद्रों में. पीने का पानी मिलता है. सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहे हैं.

सबसे पहले बात झारखंड की. झारखंड के चार गांवों को प्रभात खबर ने गोद लिया. रांची संस्करण ने अनगड़ा प्रखंड के सीताडीह को, जमशेदपुर संस्करण ने पटमदा प्रखंड के गोबरघुसी को, धनबाद संस्करण ने बोकारो के कसमार प्रखंड के त्रियोनाला और देवघर संस्करण ने सारवां प्रखंड के झिकटी गांव को गोद लिया. इसी तरह बिहार में पटना संस्करण ने भोजपुर (आरा) के बजरुहां (उदवंतनगर प्रखंड), मुजफ्फरपुर संस्करण ने कांटी प्रखंड के मिठनसराय को, गया संस्करण ने बोधगया प्रखंड के सिमरिया को और भागलपुर संस्करण ने नाथनगर प्रखंड के गोलाहू को गोद लिया.

इन गावों में प्रभात खबर ने 1987 प्राथमिक उपचार बॉक्स, बच्चों के बीच 1600 स्कूल बैग और पेंसिल बॉक्स, 1992 सोलर लैंप, 3984 औषधीय मच्छरदानी, 1992 वाटर फिल्टर और 1992 वाटर टब और मग वितरित किये. गंभीर पेयजल संकट झेल रहे गांवों में छह डीप बोरिंग भी कराये गये. हैंडपंप लगाये गये. प्रभात खबर की पहल ने रांची जिले के अनगड़ा प्रखंड के सीताडीह के लोगों का जीवन स्तर बदला.

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लोगों ने नशा त्यागा. अब सब्जियों की खेती कर रहे हैं. 10 ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया. फिर मधुमक्खी के बॉक्स दिये गये. बेल टोली और बनटोली में लोग गड्ढे का पानी पीने को मजबूर थे. बोरिंग कराने और हैंडपंप लगाने के बाद लोग शुद्ध पेयजल का उपयोग कर रहे हैं. खादी बोर्ड के साैजन्य से सिलाई, लाह और चरखा सेंटर खोले गये. तत्कालीन मुख्यमंत्री खुद इस गांव में गये और विकास की योजनाएं देखी. राज्यसभा सांसद परिमल नथवाणी ने भी इस गांव को गोद लिया. उनके सौजन्य से बेहतरीन कम्युनिटी हॉल बना सीताडीह में. सरनास्थल का जीर्णोद्धार हुआ. सड़कें बनी. सोलर पंप लगाये गये. आज भी बड़ी संख्या में लोग इसका लाभ ले रहे हैं.

इसी तरह जमशेदुपर का गोबरघुसी गांव प्रभात खबर की पहल पर आदर्श गांव बन गया. गांव के एक-एक घर में बिजली पहुंची. गांव में स्ट्रीट लाइट लग गये. प्रभात खबर की ओर से दो चापानल भी लगाये गये. विधायक कोटे से भी गांव में डीप बोरिंग करायी गयी. इससे गांव में पानी का संकट खत्म हो गया. लोगो के स्वास्थ्य की जांच की गयी. मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराये गये. बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड के त्रियोनाला गांव साक्षरता अभियान शुरू किया गया. पाठ्य सामग्री वितरित की गयी. महिलाओं का समूह बना कर उन्हें अक्षर ज्ञान से जोड़ा गया. शराब के खिलाफ लोग एकजुट हुए. गांव को स्वच्छ रखने की मुहिम शुरू की गयी.

इसी तरह देवघर जिले के झिकटी गांव को जब प्रभात खबर ने गोद लिया था, तो यहां के लोग बिजली, पानी, सड़क आदि समस्याओं से जूझ रहे थे. 70 के दशक में यहां कुछ दिनों के लिये बिजली आयी थी. उसके बाद ढिबरी युग. प्रभात खबर की पहल पर बिजली के 124 पोल गांव पहुंचे. इसमें मंत्रियों-विधायकों का भी सहयोग मिला. ग्रामीणों ने कार सेवा कर खुद पोल गाड़े. विभाग ने ट्रांसफारमर दिया. गांव जगमगा उठा. चार चापानल लगाये गये. कानूनी अड़चनों के बावजूद मोरम की सड़क बनायी गयी.

बिहार के गांवों की बात करें, तो आरा के बजरूहां में प्रभात खबर द्वारा बांटे गये सोलर लैंप, वाटर प्यूरीफायर, मेडिकेटेड मच्छरदानी लोगों के लिए काफी उपयोगी रहे. शुद्ध पानी के लिए हैंडपंप लगाये गये. हेल्थ कैंप लगाये गये. गांव में जिस स्थान पर कर्मकांड होता था, वहां भी पानी की सुविधा नहीं थी. प्रभात खबर ने हैंडपंप लगा कर वहां पानी उपलब्ध कराया.

भागलपुर के गोलाहू में किसान कैसे उन्नत खेती करें, इसकी पहल की गयी. चापानल लगाये गये. सड़क निर्माण किया गया. बाढ़ से बचाव की योजनाएं तैयार की गयीं.

मुजफ्फरपुर के मिठनसराय भी सोलर लैंप, वाटर फिल्टर, मेडिकल बॉक्स वितरित किये गये. सामुदायिक भवन का जीर्णोद्धार किया गया. उसका रंग रोगन भी हुआ.

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गया जिले के सिमरिया में प्रभात खबर ने एक स्कूल में बेंच-डेस्क उपलब्ध कराया. स्वच्छता अभियान शुरू किया. जर्जर स्कूल की मरम्मत करायी गयी. जनप्रतिनिधियों की मदद से चापानल लगाये गये. स्पोर्ट्स किट उपलब्ध कराये गये. हेल्थ कैंप लगा कर ग्रामीणों के बीच दवाइयों का वितरण किया गया.. हर परिवार को महंगे ब्रांड के वाटर प्यूरीफायर दिये गये. गांव में बदलाव दिखने लगा.

प्रभात खबर ने संकल्प लिया था….छोटे-छोटे प्रयासों से गांवों के हालात बदलने का. हमारी कोशिशों से हालात बदले. आज भी झारखंड-बिहार के ये गांव विकास की राह पर हैं. इन गावों में आज भी सरकार की योजनाएं प्राथमिकता के तौर पर ली जा रही हैं.

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