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डेढ़ साल में ही धंसने लगी डेढ़ करोड़ से बनी अहिनौरा-बघिनी सड़क

सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि बनने के कुछ ही दिनों बाद ही योजनाएं अपना अस्तित्व खोने लग रही है. ताजा मामला अहिनौरा-बघिनी पथ का है,

मोहनिया सदर. सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि बनने के कुछ ही दिनों बाद ही योजनाएं अपना अस्तित्व खोने लग रही है. ताजा मामला अहिनौरा-बघिनी पथ का है, जिसको अहिनौरा से बघिनी के हरिजन टोला तक 02.400 किमी तक बनाया गया है. इसे बने अभी डेढ़ वर्ष भी नहीं हुए और डेढ़ करोड़ की लागत से बनी सड़क जगह-जगह धंस कर गड्ढों में तब्दील होने लगी है. साथ ही उसमें दरारें भी फटने लगी हैं. आलम यह है कि बनने के एक वर्ष बाद ही उसकी रिपेयरिंग करानी पड़ी थी. सड़क की हालत देख आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि उक्त सड़क के निर्माण में किस हद तक मानक की अनदेखी की गयी है. उक्त सड़क का निर्माण मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के अंतर्गत कराया गया है. 02.400 किमी लंबी बनी यह सड़क कई जगहों पर उखड़ने के साथ जगह-जगह धंस गयी है, जिसकी रिपेयरिंग भी पूर्व में करायी गयी है. जबकि, कुछ जगह पर सड़क पर गहरे गड्ढे हो गये हैं, लेकिन इसकी जांच व देखभाल करने वाला मानों कोई नहीं है. हालांकि, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उक्त पथ के बनने से खासतौर से अहिनौरा के दक्षिणी व बघिनी गांव के उत्तरी भाग के लोगों को काफी सहूलियत हुई है. उक्त पथ के दोनों तरफ की जमीन की कीमतों में भी इजाफा हुआ है, लेकिन सबसे खास बात तो यह है कि जिन अधिकारियों को उक्त सड़क की जांच की जिम्मेदारी मिली थी, उन लोगों ने कितनी पारदर्शिता के साथ इसके निर्माण की जांच की व राशि के भुगतान की स्वीकृति दी है, यह एक सोच का विषय है. # 2022 में शुरु हुआ था निर्माण कार्य अहिनौरा-बघिनी पथ का निर्माण कार्य लगभग वर्ष 2022 की आधी अवधि गुजरने पर प्रारंभ हुआ था, जिसे मई 2023 में अंतिम रूप दिया गया था. इस पथ के निर्माण में पेटी कांट्रेक्टर के रूप में माननीय के चहेते लोग भी शामिल थे, जिन्होंने योजना को अच्छी तरह से निचोड़ लिया. उक्त पथ के निर्माण के लिए उस समय मोहनिया के विधायक रहे निरंजन राम ने 23 जून 2020 को ग्रामीण विकास कार्य विभाग के मंत्री को इसकी मंजूरी के लिए पत्र लिखा था, विधायक ने दोनों गांवों के बीच की दूरी 02.400 किमी के बीच के मिट्टी पथ का पक्कीकरण करा दोनों गांवों के लोगों को बीच का एक सुगम रास्ता दिलाने के लिए अथक प्रयास किया था. इसके बाद इस पथ को स्वीकृति मिली थी. इस पथ के निर्माण से दोनों गांवों के लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी. लोगों ने सोचा था कि मोहनिया-रामगढ़ पथ एनएच 319 ए पर कभी-कभी लगने वाले जाम से भी छुटकारा मिलेगा, लेकिन बनने के बाद एक वर्ष पूरा भी नहीं हुआ था कि सड़क गड्ढों में तब्दील होने लगी थी, जिसकी मेंटेनेंस भी बीच में करायी गयी थी. लेकिन डेढ़ वर्ष के अंदर ही लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से बनी सड़क कई जगहों पर धंस गयी है. इतने कम समय में सड़क का क्षतिग्रस्त होना उच्च स्तरीय जांच का विषय है, जबकि उक्त पथ के अनुरक्षण की तिथि मई 2028 तक निर्धारित है.

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