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पांच माह में धनबाद की पांच विवाहिताओं की दहेज लोभियों ने ले ली जान

भारतीय समाज में दहेज एक गंभीर समस्या है. कई मामलों में दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर ससुराल वालों द्वारा महिला को प्रताड़ित भी किया जाता है. झारखंड पुलिस द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार धनबाद में पांच माह में पांच विवाहिताओं की दहेज के लिए हत्या की जा चुकी है़

नीरज अंबष्ट, धनबाद.

भारतीय समाज में दहेज एक गंभीर समस्या है. दहेज परंपरा महिलाओं के अभिशाप से कम नहीं है. कई मामलों में दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर ससुराल वालों द्वारा महिला को प्रताड़ित भी किया जाता है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या से निबटने के लिए कानून नहीं है. यदि किसी महिला की शादी के सात वर्षों के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मृत्यु हो जाती है और यह साबित होता है कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था, तो यह दहेज हत्या मानी जाती है. इस अपराध के लिए सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. फिर भी दहेज हत्या के मामले कम नहीं हो रहे हैं. इस सामाजिक समस्या को समाप्त करने के लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर प्रयास करना होगा.

गिरिडीह जिला में पांच माह में 15 महिलाओं की गयी जान :

झारखंद पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल हजारों दहेज हत्या के मामले दर्ज किये जाते हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा दहेज के लिए बेटियों की हत्याएं गिरिडीह जिला में होती है. यहां हर माह पांच बेटियां दहेज की बलि वेदी पर चढ़ जाती हैं. जनवरी से लेकर मई तक गिरिडीह जिला में कुल 15 बेटियों को दहेज के लिए मौत के घाट उतार दिया गया. इस मामले में धनबाद भी पीछे नहीं है. धनबाद में पांच माह में पांच बेटियां दहेज हत्या की शिकार हुईं. वहीं बोकारो में सात महिलाएं मार दी गयीं. गिरिडीह के बाद पलामू जिला में सबसे ज्यादा दहेज हत्या हुई. यहां पांच माह में 12 मामले दर्ज किये गये. गढ़वा में नौ, रामगढ़ में पांच, सरायकेला में सात, चतरा में तीन, दुमका में छह, हजारीबाग में पांच, कोडरमा में एक, पाकुड़ में दो, रांची में सात, देवघर में आठ, ईस्ट सिंहभूम में तीन, जामताड़ा में दो, लातेहार में पांच, साहेबगंज में चार व बेस्ट सिंहभूम में एक बेटी को दहेज के लिए मार दिया गया.

इन जिलों से लेनी चाहिए सीख :

झारखंड में कुछ ऐसे जिले भी हैं, जहां दहेज हत्या के मामले नहीं आयें. इनमें खुंटी, लोहरदगा, सिमडेगा व गोड्डा जिला है. इन जिलों लोगों को सीख लेनी चाहिए कि दहेज हमारे समाज के लिए अच्छा नहीं है. दहेज को लेकर समय समय पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और महिलाओं को भी अपने अधिकारों को जानना चाहिए.

दहेज हत्या के कारण :

सामाजिक दबाव :

कई परिवारों में, शादी के समय दहेज देना सामाजिक रूप से अनिवार्य माना जाता है.

लोभ और लालच :

अधिक धन प्राप्त करने की इच्छा भी दहेज हत्या के पीछे एक प्रमुख कारण है.

पारिवारिक तनाव :

ससुराल वालों द्वारा बहू को दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, इससे तनाव बढ़ता है और कभी-कभी उसकी मौत हो जाती है.

समाधान : शिक्षा और जागरूकता :

लोगों को शिक्षित करना और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाना.

कानूनी सहायता :

पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता और संरक्षण प्रदान करना.

सामाजिक समर्थन :

परिवार और समाज को दहेज प्रथा के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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