Bihar News: मुजफ्फरपुर शहर की मुख्य सड़क के साथ गली-मोहल्ले में अब रोड और नाला बनने से पहले सरकारी जमीन की पैमाइश होगी. इसके बाद ही कनीय अभियंता योजना का एस्टीमेट तैयार करेंगे. यह फैसला सड़क व नाले की जमीन को अतिक्रमण कर संकीर्ण करने की मिली शिकायत के बाद नगर निगम ने लिया है.
नगर आयुक्त को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश
दरअसल, शहर में बुडको, नगर निगम सहित मुख्यमंत्री सात निश्चय कच्ची गली नाली योजना के तहत नाला व सड़कें बन रही है. टेंडर होने के बाद एजेंसी जब निर्माण शुरू करती है. तब लगभग सभी जगहों से सरकारी जमीन के अतिक्रमण करने व निजी जमीन पर सड़क व नाला बनाने की शिकायत मिलती है. ऐसे में निर्माण कार्य के बाधित होने के साथ गुणवत्ता तक पर असर पड़ता है. इसको देखते हुए महापौर निर्मला साहू ने सशक्त स्थायी समिति में लिये गये फैसला के बाद नगर आयुक्त को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
कनीय अभियंता की मौजूदगी में अमीन करेंगे मापी
आदेश में कहा गया है नगर निगम में विभाग से सहायक नगर योजना पर्यवेक्षक सरकार से बहाल है. इसके अलावा अमीन की बहाली की गयी है. ऐसे में योजनाओं की एस्टिमेट बनाने मापी के समय ही कनीय अभियंता अमीन की मदद से सड़क की पैमाइश करायेंगे. जहां, विवाद होगा, उसके खाता व खेसरा की भी जांच की जायेगी. इसके बाद ही अब कोई काम होगा. नगर आयुक्त ने बताया कि सशक्त स्थायी समिति में लिये गये फैसले का अनुपालन किया जा रहा है.
मकान निर्माण के दौरान भी नाले पर अतिक्रमण, नियम का उल्लंघन
शहर में बड़ी संख्या में आवासीय एवं कमर्शियल भवनों का निर्माण चल रहा है. वर्तमान में जो निर्माण चल रहा है. इसमें आधे से अधिक निर्माण बिना नक्शे की स्वीकृति का चल रहा है. नक्शे की स्वीकृति के बाद जो निर्माण चल रहा है. इसमें बिल्डिंग बायलॉज के नियम का धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है. मकान निर्माण के दौरान सरकारी जमीन यानी नाला तक को कब्जा कर भवन बना दिया जा रहा है.
इस तरह की शिकायत शहर के किसी खास इलाके से नहीं. बल्कि, हर गली-मोहल्ले से नगर निगम को मिल रही है. सशक्त स्थायी समिति में लिये गये फैसला के बाद अब इसपर लगाम लगाने के लिए नगर आयुक्त ने सहायक नगर योजना पर्यवेक्षक को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके अलावा सभी तहसीलदार, जमादार व सर्किल इंस्पेक्टर से इसकी पूरी रिपोर्ट तलब हुई है.
नक्शे की स्वीकृति के बाद निर्माण की नहीं हो रही मॉनिटरिंग
शहरी क्षेत्र के साथ ग्रेटर मुजफ्फरपुर यानी आयोजना क्षेत्र में बनने वाले हर तरीके के भवनों की निर्माण से पहले नक्शे की स्वीकृति नगर निगम से मिल रही है. नगर निगम ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड में नक्शे की स्वीकृति तो प्रदान कर दे रहा है. लेकिन, निर्माण की मॉनिटरिंग सही से नहीं होती है. इससे बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर मकान बनने की शिकायत बढ़ गयी है. नक्शा तैयार करने वाले ऑर्किटेक्ट इंजीनियर को भी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी है, लेकिन वे भी नहीं करते हैं. उन्हें सिर्फ नक्शे की स्वीकृति तक ही मतलब रहता है.