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हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर में बांस रोपण से बनेगा कार्बन सिंक

बीएसएल के सीएसआर के तहत बोकारो के सेक्टर-2 में स्थापित हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर में आठ विभिन्न प्रजातियां के 1800 बांस के पौधे लगाये जा रहे हैं

बोकारो. सेल/बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) की सीएसआर के तहत बोकारो के सेक्टर-2 में स्थापित हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर में आठ विभिन्न प्रजातियां के 1800 बांस के पौधे लगाये जा रहे हैं. मंगलवार को बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीके तिवारी व महिला समिति की अध्यक्ष अनीता तिवारी ने इसकी औपचारिक शुरुआत की. श्री तिवारी ने कहा कि यह पहल कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के अभियान का एक हिस्सा है. बांस रोपण से कार्बन सिंक बनेगा. पर्यावरण को लाभ पहुंचाने के अलावा इस केंद्र में बांस आधारित हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्माण के लिए कच्चा माल भी प्रदान करेंगे. इससे हैंडीक्राफ्ट सेंटर में काम करने वाले कारीगरों को कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी. मौके पर अधिशासी निदेशकों, मुख्य महाप्रबंधकों व बीएसएल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

दिसंबर 2022 में शुरू किया गया बीएसएल का हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर स्थानीय गांवों की महिलाओं को बांस, जलकुंभी व जूट से बने हैंडीक्राफ्ट वस्तुएं बनाने के लिये प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से खोला गया है. केंद्र ने दो साल से भी कम समय में परिधीय गांवों की लगभग 700 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है. आर्थिक उत्थान में सहायता की है. प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए दुमका स्थित एलआईएमएस-ईएसएएफ फाउंडेशन के साथ साझेदारी है. जिसे इस क्षेत्र में व्यापक अनुभव है. हैंडीक्राफ्ट सेंटर में बने उत्पादों का मार्केटिंग लिंकेज स्थापित है. बोकारो में इसके लिए एक शोरूम भी खोलने की योजना बनाई जा रही है.

बंबूसा टुल्डा, बंबूसा बाल्कोआ, बंबूसा नूटांस, डेंड्रोकैलेमस एस्पर…

एलआईएमएस-ईएसएएफ फाउंडेशन के निदेशक डॉ अजिथसेन सेल्वादास ने बताया कि परिसर में 1800 बांस के पौधे लगाने से लगभग 120 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का पृथक्करण व शोधन हो सकेगा. औसतन बांस प्रति वर्ष प्रति एकड़ लगभग 12 से 15 टन ऑक्सीजन का पृथक्करण व शोधन कर सकता है. बांस को पानी की कम आवश्यकता होती है. यह अन्य पेड़ों की तुलना में 35% अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है. बांस की विभिन्न प्रजातियों में बंबूसा टुल्डा, बंबूसा बाल्कोआ, बंबूसा नूटांस, डेंड्रोकैलेमस एस्पर, बंबूसा पॉलीमोर्फा, डेंड्रोकैलेमस गिगेंटस, बंबूसा वल्गेरिस और डेंड्रोकैलेमस सिक्किमेंसिस शामिल हैं. तीन साल बाद बांस के पेड़ सेंटर में काम करने वाले कारीगरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार हो जायेंगे.

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