काॅमर्शियल माइनिंग के तहत कोल ब्लॉक के आवंटन के बाद अब कोल इंडिया व उसकी अनुषांगिक कंपनियों की जमीन भी निजी कंपनियों को पट्टे पर दी सा सकेंगी. इसके लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की भूमि उपयोग नीति (लैंड यूज पॉलिसी) में संशोधन किया गया है. इस आलोक में 29 जुलाई को ही कोयला मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गयी है. इसके मुताबिक भूमि उपयोग नीति में संशोधन निजी संस्थाओं को कोयला बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य विकास गतिविधियों के लिए पट्टे पर देने के लिए किया गया है. भूमि के स्वामित्व में बदलाव किये बिना जमीन निजी कंपनियों को पट्टे पर दी जायेगी. पट्टा 50 साल के लिए होगा. पट्टा उन कंपनियों को ही मिलेगा, जिन्हें कॉमर्शियल माइनिंग के तहत कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है. बता दें कि सरकारी कोयला खदानों के लिए सीबीए अधिनियम या कोकिंग कोल माइंस (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 (सीसीएमएन अधिनियम), कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 (सीएमएन अधिनियम) के तहत भूमि का अधिग्रहण किया जाता है.
दीर्घकालिक होंगे पट्टे :
सरकारी कंपनियों द्वारा दिये गये सतही पट्टे दीर्घकालिक होंगे. यानी 50 साल तक के लिए. खनन पट्टा/उप-पट्टा एमएमडीआर अधिनियम के तहत प्रदान किया जायेगा और एमएमडीआर अधिनियम के तहत खनन पट्टे पर लागू नियम और शर्तें ऐसे खनन पट्टों पर लागू होंगी. पट्टेदार/उप-पट्टेदार को रॉयल्टी, डेड रेंट, नीलामी की आय, सतह किराया या कोई अन्य वैधानिक राशि राज्य सरकार को देनी होगी तथा जिला खनिज फाउंडेशन और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट को एमएमडीआर अधिनियम के तहत पट्टेदार द्वारा देय राशि का भुगतान करना होगा. पट्टेदार/उप-पट्टेदार भूमि अधिग्रहण की लागत, पुनर्वास और पुनर्स्थापन की लागत, भूमि के बदले रोजगार की लागत, अन्य आकस्मिक या सहायक लागत/खर्च आदि का भुगतान वर्तमान बाजार दर पर सरकारी कंपनी द्वारा किया जायेगा. इसके अतिरिक्त, पट्टेदार प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर भूमि के लिए 1000 रुपये की दर से पट्टाकर्ता सरकारी कंपनी को सतही पट्टे के लिए किराया देगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है