प्रतिनिधि, ग्वालपाड़ा
झलारी चौक पर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित कथा के चौथे दिन आशुतोष जी महाराज के शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद ने कहा कि आज ईश्वर की महिमा तो सभी गाते हैं, लेकिन प्रभु की महिमा गाना तभी सार्थक है, जब हम उस ईश्वर को देखें. भक्त नामदेव, मीराबाई, नारदजी आदि ने भी गाया, लेकिन उन्होंने देखा तब गाया. शिष्या साध्वी अमृता भारती ने कहा कि सृष्टि का अटल नियम है कि आज तक जिसने भी ईश्वर को देखा, पूर्ण गुरु के शरण में ज्ञान प्राप्त करके ही. ईश्वर का दर्शन करने वाले ऐसे गुरु नर रूप में साक्षात नारायण होते हैं. भक्त नामदेव के समक्ष भगवान विट्ठल 72 बार प्रकट होकर दर्शन दिए, लेकिन स्वयं भगवान विट्ठल ने नामदेव को पूर्ण गुरु विशोवा खेचर जी की शरण में जाने की प्रेरणा दी, क्योंकि नामदेव दुविधा में थे. उस समय भी दुनिया में बहुत सारे पाखंडी गुरु अपने-अपने मतों के अनुसार मठ और आश्रम चला रहे थे. इतने सारे गुरुओं के बीच में किसके पास जाऊं, तब भगवान विट्ठल ने पूर्ण गुरु की पहचान बतायी, जो गुरु दिव्य दृष्टि प्रदान कर ईश्वर का दर्शन करा दे, वही पूर्ण गुरु हैं. स्वयं श्रीहरि ने आज नामदेव के समक्ष गुरु की महिमा का गायन किया. कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही.
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