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हस्तकरघा उद्योग भारत का सबसे पुराना उद्योग

राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के अवसर पर परिचर्चा

मुई. राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के अवसर पर बुधवार को हस्तकरघा उद्योग व इससे उत्पादित वस्तुओं के महत्व पर एक परिचर्चा आयोजित की गयी. मौके पर डाॅ प्रो गौरी शंकर पासवान ने कहा कि हस्तकरघा उद्योग भारत का सबसे पुराना उद्योग है. अपने हाथों से कपड़े को बनाना या बूंदना ही हस्तकरघा कहलाता है. इसे अंग्रेजी में हैंडलूम भी कहते हैं. 7 अगस्त 2015 को भारत सरकार ने हस्तकरघा दिवस मनाने की शुरुआत की थी. सात अगस्त सन 1905 को लॉर्ड कॉर्नवालिस में बंग-भंग की घोषणा की थी. इसके विरोध में स्वदेशी आंदोलन चलाया गया था और इसी की याद में 7 अगस्त 2015 से सरकार ने हस्तकरघा दिवस मनाने की शुरुआत की है. प्रो पासवान ने कहा कि नेशनल हैंडलूम डे मनाने का मुख्य उद्देश्य उद्योग को बढ़ावा देना और हस्तशिल्प कार्यक्रमों के कौशल तथा मेहनत को सम्मान देना है. भारत के कारीगर और कलाकार अपनी प्रतिभा तथा कौशल के लिये प्रसिद्ध है. बुनकर न केवल अपनी कला के माध्यम से कमाई करते हैं, बल्कि वह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोये हुए है और भावी पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखते हैं. यह दिवस बुनकरों, कलाकारों की मेहनत,समर्पण तथा रचनात्मकता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. भागलपुर का तसर उद्योग तथा बनारसी साड़ी उद्योग हस्तकरघा उत्पाद में विश्व प्रसिद्ध है. हस्तकरघा बुनकरों की जीविका का बढ़िया स्रोत है इसमें कम संसाधनों की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि हस्तकरघा उद्योग कि सबसे इसकी खासियत है कि यह उद्योग पर्यावरण के अनुकूल है. हमें गर्व है कि हम ऐसे देश में हम रहते हैं, जहां हस्तकरघा इतना प्रसिद्ध है. भारत का सूती हस्तकरघा उद्योग वस्त्र उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से अहम स्थान रखता है. भारत में इस उद्योग को जिंदा रखने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं और नीतियां भी बनाई गयी हैं. रवीश कुमार सिंह ने कहा कि हस्तकरघा उत्पादों का महत्व आज भी है, कल भी था और भविष्य में भी रहेगा. हैंडलूम से बने कपड़े को लोग बहुत पसंद करते हैं. हस्तकरघा दिवस भारतीय हस्तकरघा परंपरा और योगदानों को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण दिवस है. यह सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित भी करता है. आधुनिक युग में भी हस्तकरघा और हस्तकला की प्रासंगिकता बनी हुई है. इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से हस्तशिल्प और हस्तकरघा का महत्व विश्व में बड़ा है. यह दिवस अद्वितीय हस्तशिल्प, हस्तकरघा कारीगरों और बुनकरों के अद्भुत कार्यों को समर्पित है, जो हमारे इतिहास और संस्कृति का हिस्सा है. मौके पर प्रो डीके गोयल, प्रो सरदार राय, प्रो सत्यार्थ प्रकाश, प्रो कैलाश पंडित आदि ने हैंडलूम निर्मित कपड़े तथा अन्य उत्पादों का महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में हस्तकरघा की महता विश्व भर में है. इस दौरान कई प्रबुद्ध जन उपस्थित थे.

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