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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में जनभागीदारी जरूरी : सीएस

जिले में 10 अगस्त से चलने वाले फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर बुधवार को सदर अस्पताल में मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया.

समस्तीपुर : जिले में 10 अगस्त से चलने वाले फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर बुधवार को सदर अस्पताल में मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया. कार्यशाला को संबोधित करते हुये सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता के लिये जनभागीदारी जरूरी है. जिले में फाइलेरिया के प्रसार को कम करने के लिए 10 अगस्त से ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत आइवर मेक्टिन, डीइसी व एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी, जिससे जिले के करीब 45 लाख 60 हजार लोग लाभान्वित होंगे. इस दवा को खिलाने के लिए 2174 टीम बनायी गयी है, जिसमें करीब 4300 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर और 270 सुपरवाइजर होंगे. यह आइवरमेक्टिन दवा 5 साल से ऊपर के लोगों को खिलाई जाएगी. कार्यशाला का आयोजन बुधवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) तथा जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा आयोजित किया गया था. सीएस ने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया की महती भूमिका होगी. कार्यशाला के दौरान जिला वीबीडीसी पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार ने बताया कि 10 अगस्त से शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान के लिए दवा के शत प्रतिशत कवरेज के लिए विशेष रणनीति अपनायी जा रही है. हाल ही में हुए स्टेट टास्क फोर्स की बैठक में तय किया गया था कि 17 दिन तक चलने वाले इस अभियान के दौरान सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर बूथ लगाकर दवा का सेवन कराया जाएगा. शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रयास करते हुए विशेष माइक्रो प्लान के अनुसार फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराया जाएगा. सरकारी अस्पतालों के अलावा 27 अगस्त से 29 अगस्त तक सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत जिले में स्थित सभी सरकारी व प्राइवेट विद्यालयों में बूथ लगाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जाएगा. इसके बाद 30 अगस्त से 5 सितम्बर के बीच एक सप्ताह का मॉप-अप राउंड चलाया जाएगा. मॉप-अप राउंड के दौरान छूटे हुए एवं इंकार किये हुए सभी लोगों को दवा का सेवन कराया जाएगा. डब्ल्यूएचओ की डॉ. माधुरी देवराजू ने बताया कि सर्वजन दवा सेवन के तहत सबसे जरूरी है कि इस दवा को बांटना नहीं है बल्कि हरेक ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर को उसे अपने सामने ही खिलाना है. तीनों दवाओं में से एल्बेंडाजोल की गोली को हमेशा चबाकर खाना है. डॉ माधुरी ने बताया कि यह दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों, गर्भवती स्त्रियों को नहीं खिलानी है. बताया कि ट्रिपल ड्रग थेरेपी के सेवन से कुछ लोगों में प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिलते हैं, वह मतली, चक्कर, हल्की बुखार के रूप में भी हो सकते हैं. इन दुष्प्रभावों से घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. यह दुष्प्रभाव तभी होगा जब आपके अंदर माइक्रोफाइलेरिया होंगे. प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए प्रत्येक प्रखंड में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है. जिसमें चिकित्सक और एंबुलेंस हमेशा मौजूद होंगे. प्रत्येक ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के पास रैपिड रिस्पांस टीम का नंबर मौजूद होगा. दवा खिलाने में इस्तेमाल किए जाने वाले डोज पोल के बारे में बताते हुए कहा कि दवा खिलाने के लिए एक डोज पोल का निर्माण किया गया है. इसमें लंबाई के अनुसार गोली की संख्या तय है. अगर किसी बच्चे की ऊंचाई 90 सेमी से कम है, तो उन्हें आइवरमेक्टिन की गोली नहीं देनी है. वहीं दो साल से पांच साल तक के बच्चों को सिर्फ डीइसी और एल्बेंडाजोल की गोली ही दी जाएगी. मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विशाल कुमार, जिला वीबीडी कंसल्टेंट संतोष कुमार, वीबीडीएस पंकज कुमार, पीरामल की प्रोग्राम लीड श्वेता कुमारी, पीसीआई डीसी रणधीर कुमार, अमित कुमार सिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे.

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