कोर्ट ने कहा- आधार कार्ड नागरिकता या निवास का दस्तावेज नहीं
संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणमन व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने बुधवार को आधार कार्ड से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण-पत्र नहीं है. यह सिर्फ एक प्रकार का पहचान पत्र है. मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आधार कार्ड एक तरह का पहचान पत्र है, न कि निवास या नागरिकता का दस्तावेज. कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में कई लोगों के आधार कार्ड अचानक रद्द कर दिये गये थे. इसके खिलाफ ज्वाइंट फोरम एगेंस्ट एनआरसी नामक मंच ने आधार एक्ट की धारा 28ए को रद्द करने के लिए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. फोरम की अधिवक्ता झूमा सेन ने कहा कि आधार एक्ट की धारा 28ए को लागू करने से आधार की संवैधानिक वैधता पर सवाल खड़ा हो गया है. कानून की उस धारा में विदेशी नागरिकों का उल्लेख है. 2016 के आधार अधिनियम में यह खंड नहीं था. उनका दावा है कि इसे 2023 में कनेक्ट किया गया है और इस धारा के जरिये आधार अथॉरिटी को नागरिकता सत्यापित करने के लिए कई शक्तियां दी गयी हैं, जो संविधान के खिलाफ है. मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आधार को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जा सकता है. लेकिन आधार कार्ड का नागरिकता से कोई संबंध नहीं है. हालांकि इस मामले में केंद्र पहले ही हलफनामे में कह चुका है कि देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आधार कार्ड रद्द किया गया है. इन लोगों के पास इस देश का नागरिक होने का पर्याप्त दस्तावेज नहीं हैं, उनका आधार कार्ड रद्द किया जा रहा है. यह कदम देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के लिए उठाया गया है.
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