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19 साल बाद सहरसा-अमृतसर गरीब रथ का बदल गया कोच

यात्रियों ने नयी चमचमाती एलएचबी कोच में सफर की हुई शुरुआत20 एसी इकोनामिक कोच के साथ गरीब रथ अमृतसर के लिए हुई रवाना यात्री टिकट पर नए कोच

यात्रियों ने नयी चमचमाती एलएचबी कोच में सफर की हुई शुरुआत20 एसी इकोनामिक कोच के साथ गरीब रथ अमृतसर के लिए हुई रवाना यात्री टिकट पर नए कोच की जगह पुराने कोच के सीट नंबर कर दिया गया अंकित, ट्रेन में घुसते ही यात्रियों को नहीं मिला सीट रेलवे तक कर दिया कंप्लेंन प्रतिनिधि, सहरसा करीब 19 साल बाद सहरसा-अमृतसर 12203/04 गरीब रथ सुपरफास्ट ट्रेन का आखिरकार कोच बदल गया. गुरुवार को नये एलएचबी इकोनामिक एसी कोच में यात्रियों ने सहरसा से अमृतसर के लिए खुशी जाहिर करते हुए सफर की शुरुआत की. यात्रियों ने कहा कि कोच बदलने से अब पूरी तरह प्रीमियम ट्रेन की लुक और सुविधा इस ट्रेन में मिलने लगी है. यहां बता दें कि सहरसा-अमृतसर गरीब रथ सुपरफास्ट नई लुक में चलना शुरू कर दी है. आईसीएफ कोच से बदलकर गरीब रथ सुपरफास्ट नई चमचमाती इकोनामिक एसी एलएचबी कोच में पूरी तरह से बदल गयी है. गुरुवार से अब सहरसा के यात्रियों को प्रीमियम ट्रेन जैसी सुविधा मिलने लगी. कोच की संख्या के अलावा बर्थ में भी बढ़ोतरी हुई है. यहां बता दें कि बीते 7 अगस्त को अमृतसर से सहरसा के लिए गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन नये कोच के साथ रवाना हुई. वहीं 8 अगस्त से सहरसा से अमृतसर के लिए यात्रियों को गरीब रथ एक्सप्रेस नये कोच में प्रीमियम ट्रेन जैसी सुविधा मिलने लगी. 22 कोच की हुई ट्रेन सहरसा-अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस कोच बदलने के बाद यह ट्रेन अब 22 कोच की हो गयी. इसमें 20 कोच थर्ड एसी इकोनामिक एलएचबी आरक्षित श्रेणी हैं. इसके अलावा दो कोच पावर ब्रेक कार कोच है. सहरसा से पहली बार वर्ष 2005 में चली थी गरीब रथ एक्सप्रेस यहां बता दें कि वर्ष 2005 में पहली बार तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने सहरसा से नई दिल्ली के रास्ते अमृतसर तक गरीब रथ ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. इस ट्रेन को चलाने का उद्देश्य यह था कि गरीब आदमी भी कम किराया में एसी में सफर कर सके. सबसे पहले गरीब रथ एक्सप्रेस सहरसा से ही चली थी. नये कोच में शामिल खास सुविधाएं – 20 कोच में कुल बर्थ की संख्या 1600 – एलएचबी कोच लगने के बाद ट्रेन ट्रेन की स्पीड बढ़ गयी – पूरी तरह से साउंड प्रूफ होगा एलएचबी कोच – आईसीएफ कोच के मुकाबले एलएचबी कोच में यात्रियों को मिलेगी आधुनिक सुविधा – चेयर कार कोच हटाने के बाद 10 कोच की ट्रेन में बढ़ोतरी – पहले कोच की तुलना में अब नये कोच में मिडिल बर्थ हटाया – अब नये प्रत्येक कोच में बर्थ की संख्या 80 हुई किराया में नहीं किया गया कोई अंतर एसी इकोनामिक कोच से गरीब रथ चलने के बाद किराया में कोई अंतर नहीं होगा. पूर्व मध्य रेलवे से चलने वाली सभी गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन को एलएचबी कोच में कन्वर्ट कर दिया जायेगा. यहां बता दें कि सहरसा-अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन का सप्ताह में 3 दिन रविवार, सोमवार और गुरुवार को परिचालन होता है. वहीं जयनगर-आनंद विहार गरीब रथ साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन को पहले ही अप्रैल महीने में एलएचबी कोच में कन्वर्ट कर दिया गया है. बता दें कि पूर्व में आईसीएफ कोच के साथ सहरसा अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस वर्तमान में 18 कोच से चलायी जा रही थी. इनमें 12 थर्ड एसी कोच और चार चेयर कार कोच था. हटाया गया चेयर कार नये इकोनामिक कोच में परिवर्तन के बाद सहरसा-अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में पूर्व में लगी में चार एसी चेयर कार कोच को हटा दिया गया है. उनकी जगह 4 स्लीपर एसी इकोनामिक कोच लगाये गये हैं. यानी कोच में बढ़ोतरी की गयी है. वहीं रेल अधिकारियों की माने तो एलएचबी कोच में कन्वर्ट होने के बाद पूरी ट्रेन में 352 सीट का इजाफा हुआ है. यानी प्रत्येक कोच में बर्थ की संख्या 80 बढ़ गयी है. ……………………………………………………………………………………………. सफर की शुरुआत तो हुई, पर बर्थ खोजने में यात्रियों के छूट गये पसीने नयी ट्रेन में कोच की सीट बढ़ने के बाद पुराने कोच का ही टिकट नये कोच में कर दिया गया सहरसा नये इकोनामिक कोच में गरीब रथ एक्सप्रेस में यात्रियों ने खुशी जाहिर करते हुए सफर की तो शुरुआत की. लेकिन पूरी ट्रेन में अपनी अपनी सीट खोजने में सैकड़ों यात्रियों के पसीने छूट गये. दरअसल पूर्व में जो यात्रियों ने आगामी 8 अगस्त का सहरसा से अमृतसर के बीच गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में आरक्षित श्रेणी का टिकट बनाया था. वह टिकट पुराने ट्रेन के कोच नंबर के मुताबिक ही टिकट पर अंकित किया गया था. जबकि 8 अगस्त से ट्रेन का कोच बदलने के बाद सभी कोच इकोनामिक कर दिया गया. सभी 20 कोच आरक्षित श्रेणी के कोच संख्या एम 1 से लेकर एम 20 कर दिया गया है. जबकि पूर्व में पुराने कोच से जो ट्रेन चलाई जा रही थी, उसमें जी 1 से जी 12 तक था. जबकि चेयर कार जे 1 से जे 4 था. नये कोच की टिकट पर पुराना कोच का टिकट अंकित कर दिया. जिससे यात्रियों को अपने-अपने कोच में बर्थ खोजने में पसीने छूट गये.

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