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ब्रह्मपुर सीओ पर लगे आरोपों की जांच को लेकर एडीएम ने लिखा पत्र

जिसमें कहा गया है कि परिवादी भरत पांडेय ने ब्रह्मपुर सीओ पर अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का आरोप लगाया

– सुर्खियों में बने रहने का सीओ का रहा है शौक, मुश्किले बढ़ी

ब्रह्मपुर. अंचल कार्यालय ब्रह्मपुर में कथित व्याप्त भ्रष्टाचार के संबंध में और ब्रह्मपुर अंचलाधिकारी द्वारा मनमानी रवैया अपनाने व अनियमितता के संबंध में दायर परिवाद पत्र की जांच कर विधि सम्मत सीओ पर कार्रवाई करने के लिए बक्सर के अपर समाहर्ता कुमारी अनुपमा सिंह ने भूमि सुधार उप समाहर्ता डुमरांव को पत्र जारी किया है. जांच के दायरे में आने पर सीओ की मुश्किलें बढ़ गयी है. जिसमें कहा गया है कि परिवादी भरत पांडेय ने ब्रह्मपुर सीओ पर अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. जबकि दूसरे परिवादी विमला देवी ने ब्रह्मपुर अंचलाधिकारी द्वारा मनमानी रवैया अपनाने व अनियमितता के संबंध में आरोप लगाया है. जिसमें कहा गया है कि सरकार ने दाखिल -खारिज के वादों को समय सीमा के अंदर निष्पादन के लिए इसे आरटीपीएस में शामिल किया है, ताकि आवेदनों को इसके लिए ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़े, लेकिन अंचल कर्मियों की मनमानी के कारण इसका समुचित लाभ आवेदकों को नहीं मिल पा रहा है. अंचल में ऐसे कई मामले हैं, जिसे ठोस कारण बताए बिना उस वाद को निरस्त कर दिया जाता है. सूत्रों की माने, तो कुछ निरस्त किए गए मामले को भी पुन: आरटीपीएस काउंटर स्वीकार कर उसे दाखिल-खारिज वाद में शामिल कर लिया जाता है. इसमें संबंधित आवेदक से रिश्वत लेकर उसे पुन: प्रक्रिया में लाकर वाद का निष्पादन कर दिया जा रहा है. जबकि प्रावधान के मुताबिक यदि किसी दाखिल-खारिज वाद को निरस्त किया जाता है, तो पुन: उसे डीसीएलआर के न्यायालय में दाखिल कर उसका निष्पादन किया जाना है. अधिकांश वादों में राजस्व कर्मी को चढ़ावा चढ़ाए बिना उसका निष्पादन नहीं किया जाता. ऐसे में दाखिल -खारिज मामलों के निष्पादन के लिए आवेदक अंचल कार्यालयों के इर्द -गिर्द चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उन्हें समय पर म्यूटेशन नहीं हो पाता है. प्रावधान के मुताबिक राजस्व कर्मी को म्यूटेशन के साथ ही शुद्धि पत्र भी आवेदकों को देना है, लेकिन मामलों में उन्हें शुद्धि पत्र भी नहीं दिया जाता.

क्या कहती है सीओ

इस बाबत सीओ ने उलटे सवाल करते हुए कहा कि ये सब मेरे कार्यकाल का है. नहीं पता है, देखवा लेते हैं. मामला क्या है. खुशबू खातून, सीओ, ब्रह्मपुर

ब्रह्मपुर अंचलाधिकारी जांच के घेरे में

अंचल कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार व दलाल संस्कृति से परेशान होकर ब्रह्मपुर निवासी भरत पांडे द्वारा वरीय अधिकारियों समक्ष गुहार लगाई हैं पीड़ित का आरोप है कि पूर्व में रिजेक्ट किए गए दाखिल खारिज को पैसा लेकर फिर से सेलेक्ट कर दिया जा रहा है. रिजेक्ट किए गए और सेलेक्ट किए गए सारे साक्ष्य उनके द्वारा वरीय अधिकारी के समक्ष दिखाने के बाद डीसीएलआर को ब्रह्मपुर अंचलाधिकारी पर लगे आरोपों को जांच करने जिम्मेदारी मिली हैं.

अंचल कार्यालय दलालों के गिरफ्त में

अंचल कार्यालय में कथित तौर पर अंचलाधिकारी के संरक्षण में गैर सरकारी लोग कर्मचारी के दायित्वों का निर्वहन करते नजर आते हैं. मजबूरी में लोगों को अपने कार्य के लिए इन दलालों को ही सहारा लेना पड़ता है. सबसे अहम बात यह है कि एक कर्मचारी तीन मुंशी रखते हैं. जाहिर है इन्हें वेतन सरकार तो देती नहीं है. भ्रष्टाचार कर ये लोग पैसे कमाते हैं और आम आदमी का काम बिना पैसे का होता नहीं है. हद तो यह है कि पूरे सरकारी कार्यालय का चाबी उन्हें सौंप देते हैं. ऐसे में गैर सरकारी गैर जिम्मेदर लोगों को सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने का हक देना कैसे न्यायसंगत है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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