मुंगेर. बाढ़ आपदा से संबंधित कार्य है, जिनको जो कार्य दिया गया है, उसे समय पर पूर्ण कर लें. इसमें लापरवाही व अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी और जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उक्त बातें डीएम अवनीश कुमार सिंह ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ पूर्व तैयारी की समीक्षा के दौरान कही. डीएम ने पदाधिकारियों से बारी-बारी से उनके द्वारा किये गये कार्यों व निरीक्षण की जानकारी ली. कहा सभी पदाधिकारी आपदा राहत शिविरों में चल रहे कार्यों की नियमित जांच करें और प्रत्येक दिन के कार्यों की प्रगति से संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत करें. सभी आश्रय स्थलों का भौतिक निरीक्षण करते रहें और सारी तैयारियां जल्द से जल्द पूर्ण करें. डीएम ने कहा कि गंगा के जलस्तर में वृद्धि जारी है, कभी भी बाढ़ की स्थिति बन सकती है और उस परिस्थिति में बाढ़ पीड़ित लोग कभी भी आश्रय स्थल में आ सकते हैं. इसलिए उनके आने के बाद विधि व्यवस्था बनी रहे और कोई समस्या उत्पन्न न हो इसका विशेष ध्यान रखें. अगर विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई तो संबंधित पदाधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. इसको लेकर सभी अपने-अपने कार्यों को पूर्ण कर लें. जिलाधिकारी ने कहा कि अभी प्रत्येक दिन आप सभी से आपदा व बचाव संबंधित प्रगति की जानकारी ली जायेगी.
24 घंटे से 37.78 मीटर पर स्थित है गंगा का जलस्तर, रात से वृद्धि की आशंका
मुंगेर. पिछले 24 घंटे से गंगा का जलस्तर 37.78 मीटर पर स्थित है, लेकिन रात में जलस्तर में वृद्धि होने की आशंका है. इससे बाढ़ की समस्या कभी भी मुंगेर में उत्पन्न हो सकती है. हालांकि गंगा के पानी का फैलाव देख कर दियारा व गंगा किनारे बसे गांव व टोला के लोगों ने अपने अनाज, सामान व पशुधन की सुरक्षा को लेकर इंतजाम शुरू कर दिया है. जरूरत के सामान भी बाजार से खरीद कर सुरक्षित रखने लगे हैं, ताकि बाढ़ की समस्या उत्पन्न होने पर एक-दो रोज का समय गुजार सके. गंगा का जलस्तर भले ही 37.78 मीटर पर स्थित है. लेकिन गंगा का पानी, दियारा इलाके के पंचायत कुतलुपुर, जाफरनगर व टीकारामपुर के गांव व टोला के समीप पहुंच गया है. सीताचरण में तो मंदिर में पानी घुस आया और कई हेक्टेयर में पानी का फैलाव हो चुका है. निचले इलाकों के खेतों में पानी घुसने के कारण उसमें लगी फसल मकई, परवल व विभिन्न प्रकार की लत वाली फसल बर्बाद होने लगी है. इधर कटाव की रफ्तार भी तेज हो गयी. कुतलुपुर, डीह, मनियारचक में एक ओर जहां कटाव हो रहा है. वहीं दूसरी ओर बांस का बेड़ा व जिओ बैग डाल कर कटाव से बचाव की कवायद चल रही है. इस सबके बीच बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग संभावित बाढ़ के खतरों को लेकर काफी चिंतित हैं.
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