दोबारा पकड़े जाने पर साइबर अपराधी की पूरी कुंडली देख सकेगी पुलिस
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साइबर अपराधियों के लिए अपराध की घटना को अंजाम देने के बाद छिपना आसान नहीं होगा. दोबारा पकड़े जाने पर पुलिस उनके पूरे आपराधिक कुंडली को खंगाल सकेगी. इसको लेकर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) राज्य में गिरफ्तार होने वाले साइबर अपराधियों का इ-डोजियर तैयार कर रही है. इसके लिए गिरफ्तार होने वाले पर साइबर अपराधियों के नाम, पता, फोटो व आधार नंबर के साथ ही उनकी बायोमैट्रिक पहचान यानी अंगुलियों के निशान आदि डिजिटल रूप में संग्रहित किये जा रहे हैं. इओयू के मुताबिक 2024 के पहले छह माह (जनवरी से जून तक) में राज्य भर से 311 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. इसको लेकर खास कर बिहार के छह हॉट स्पॉट जिलों में समय समय पर विशेष अभियान चलाया गया. गिरफ्तारी की यह संख्या 2022 में 670, जबकि 2023 में 1498 थी.
2024 के पहले छह माह में 1498 एफआइआर दर्ज
इओयू अधिकारियों ने बताया कि राज्य के सभी 44 पुलिस जिलों में स्थापित साइबर थाना व पोर्टल के माध्यम से एकत्रित सूचनाओं की मदद से लगातार साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. 2024 के पहले छह महीने में साइबर अपराध से जुड़े 1498 एफआइआर दर्ज हुए हैं. 2022 में एफआइआर की संख्या 1621 और 2023 में 4450 थी. इसके साथ ही नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) व हेल्पलाइन नंबर (1930) पर मिली शिकायतों के आधार पर अब तक पीड़ितों के 68 करोड़ रुपये होल्ड कराये गये हैं, जिनको पीड़ितों के खाते में वापस कराने को लेकर कार्रवाई की जा रही है. जून 2024 तक ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित 2.20 करोड़ रुपये से अधिक राशि पीड़ितों को उनके खाते में वापस कराया गया है. इसके साथ ही साइबर ठगी में इस्तेमाल किये गये 10957 मोबाइल नंबर और कुल 6329 आइएमइआइ नंबरों को भी ब्लॉक कराया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है