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पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ट्रेन से गिरकर हुई मौत पर अब मिलेगा आठ लाख मुआवजा

Train Accident: कोर्ट ने कहा कि किसी भी सूरत में पीड़ित के परिजन को कम से कम आठ लाख रुपये मुआवजा के तौर पर देना होगा. न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा की एकलपीठ ने शत्रुघ्न साहू की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है.

Train Accident: पटना. ट्रेन से गिरकर होनेवाली मौतों के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने रेलवे को ऐसे मामलों में आठ लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी सूरत में पीड़ित के परिजन को कम से कम आठ लाख रुपये मुआवजा के तौर पर देना होगा. न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा की एकलपीठ ने शत्रुघ्न साहू की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है. बिहार में ट्रेन से गिर कर मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती है. हाईकोर्ट के इस फैसले से ऐसे हादसों में मरनेवालों के परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी.

रेलवे गजट के आधार पर हुआ फैसला

कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए रेल मंत्रालय की ओर से जारी गजट अधिसूचना 22 दिसम्बर 2016 का हवाला दिया. कोर्ट ने कहा कि मुआवजा को लेकर उत्पन्न भ्रम को समाप्त करने के लिए मुआवजा राशि को बढ़ाकर आठ लाख रुपये कर दिया गया है. कोर्ट ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि यदि ब्याज सहित मुआवजा राशि 8 लाख रुपये से कम है, तो उसे कम से कम आठ लाख रुपये का मुआवजा देना ही होगा.

धक्का-मुक्की के दौरान हुआ था हादसा

कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि आवेदक के पुत्र ने एक जून 2014 को गया जंक्शन जाने के लिए गाड़ी संख्या 53608 की द्वितीय श्रेणी का टिकट खरीदा था. अनुग्रह नारायण रोड रेलवे स्टेशन से टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ा पर यात्रियों की धक्का-मुक्की के कारण वह चलती ट्रेन से गिर गया. ट्रेन से गिरने के चलते बिपुल साव गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल अनुग्रह नारायण लाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

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हाईकोर्ट में दी गयी चुनौती

मृतक के पिता ने मुआवजा राशि के लिए पटना स्थित रेलवे दावा न्यायाधिकरण में केस दायर किया. न्यायाधिकरण ने आवेदक के अविवाहित पुत्र की मृत्यु पर 4 लाख रुपये का मुआवजा 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज के साथ देने का आदेश दिया. इस आदेश पर रेलवे ने पुनर्विचार अर्जी दायर कर ब्याज को चुनौती दी. न्यायाधिकरण ने अपने पूर्व के फैसला में संशोधन करते हुए 6 प्रतिशत साधारण ब्याज देने का आदेश दिया, जिसे आवेदक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने आवेदक और रेलवे की ओर से पेश दलीलों को सुनने के बाद यह फैसला दिया.

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