Monsoon Tips for Garden:मानसून का मौसम चिलचिलाती गर्मी से पौधों को राहत देता है, और साथ ही मानसून में होने वाली नमी से पौधों को नुकसान भी हो सकता है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आप अपने पौधों को हरे भरे और स्वस्थ बनाने के लिए उनकी बेहतर देखभाल करे.
एक ओर जहां ज्यादा बारिश बाहर लगे पौधों और वातावरण के लिए फायदे मंद होती है, वहीं ज्यादा पानी की वजह से पौधे के रूट या जड़ में सड़न और फंगल रोग जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.
इस समय अपने पौधों को पनपने के लिए उचित देखभाल जरूरी है. मानसून के दौरान पौधों की देखभाल के लिए यह जरूरी टिप्स दिए गए है-
1. गमले और क्यारिओं में पानी न जमने दे
मानसून के दौरान पौधों की देखभाल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह सुनिश्चित करना है कि आपके गमलों और बगीचे की क्यारियों में पर्याप्त जल निकासी हो. जल से भरी हुई मिट्टी जड़ सड़न और अन्य बीमारियों का कारण बन सकती है. इससे मच्छर और अन्य छोटे कीट भी पनप सकते है जिससे पौधों की पत्तियों को नुकसान हो सकता है.
इसके लिए आप जल निकासी या छेद वाले गमलों का उपयोग करें और अगर आप जमीन में पौधे उगा रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखे कि मिट्टी में जल निकासी अच्छी हो.
2. पानी की जरूरत पड़ने पर ही पानी दे ताकि ज्यादा नमी न रहे.
मानसून के दौरान, प्राकृतिक वर्षा अतिरिक्त पानी की जरूरत को कम करती है. मिट्टी में अपनी उंगली डालकर नियमित रूप से मिट्टी की नमी की जांच करें. अगर ऊपर का इंच गीला है, तो पानी न दें. ज्यादा पानी देना भी उतना ही नुकसानदेह हो सकता है जितना कि कम पानी देना, इसलिए अपने पौधों की पानी की बदलती जरूरतों का ध्यान रखें.
धूप निकलने पर धूप दिखायें- बारिश में वेसे तो धूप बहुत कम पड़ती है पर कभी कभार मौसम के खुले होने पर आप अपने पौधों को धूप जरूर दिखाएं. सूर्य की किरणे पौधों को कई तरह से लाभ पहुचती है.
3. फंगल रोगों से बचाव करें
मानसून के दौरान ज्यादा मॉइस्चर फंगल वृद्धि के लिए जिम्मेदार होती है. फंगल संक्रमण को रोकने के लिए, ऊपर से पानी न डालें, क्योंकि इससे पत्ते गीले हो सकते हैं और रोग फैल सकता है.
अपने पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखकर और घने पत्तों की छंटाई करके उनके चारों ओर हवा का अच्छा आना जाना सुनिश्चित करें. इसके अलावा, यदि आवश्यक हो तो फफूंदनाशकों का प्रयोग करें और प्रभावित पौधे के किसी भी हिस्से को तुरंत हटा दें ताकि अन्य पौधों को नुकसान से बचाया जा सके.
4. मल्चिंग का उपयोग करे अगर आपका गार्डन बड़ा है तो
मल्चिंग मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करती है और साथ ही खरपतवार की वृद्धि को भी ररोकने में सहायक होती है. हालांकि, मानसून के दौरान, अगर सही तरीके से प्रबंधन न किया जाए तो मल्च कीटों और बीमारियों के पनपने के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है. अच्छी तरह से जल निकासी वाली मल्चिंग का उपयोग करें.
5. कीटों से बचायें अपने पौधों को, पत्तियों को होता है नुकसान
मानसून का मौसम स्लग जैसे छोटे कीटों को आकर्षित कर सकता है. कीटों के संक्रमण के किसी भी लक्षण के लिए अपने पौधों का नियमित रूप से निरीक्षण करें. यदि संभव हो तो कीटों को हटाने की कोशिश करे और ताजी हवा में पौधों को रखने की कोशिश करे या इन समस्याओं से निपटने के लिए नीम के तेल या कीटनाशक साबुन जैसे जैविक कीट नियंत्रण विधियों का उपयोग करें.
6. कमजोर पौधों को सहारा दें
भारी बारिश और तेज हवाएं पौधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, खासकर उन पौधों को जिनके तने कमजोर होते हैं. अपने पौधों को गिरने से बचाने के लिए खूंटे या पिंजरों का उपयोग करके उन्हें सहारा दें. इससे उन्हें सीधा रहने में मदद मिलेगी और नुकसान का जोखिम कम होगा.
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