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आरजी कर कांड की आंच से शिल्पांचल के अस्पतालों में भी उबाल, ठप रहीं ओपीडी सेवाएं

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर लेडी डॉक्टर की हत्या की घटना के बाद यहां बांकुड़ा सम्मिलनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी उबाल है. शनिवार को यहां बांकुड़ा अस्पताल में आउटडोर पेशेंट्स डिपार्टमेंट (ओपीडी) को बंद कर 24 पीजीटी, 270 इंटर्न व 60 हाउस स्टाफ ने विरोध प्रदर्शन किया.

बांकुड़ा.

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर लेडी डॉक्टर की हत्या की घटना के बाद यहां बांकुड़ा सम्मिलनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी उबाल है. शनिवार को यहां बांकुड़ा अस्पताल में आउटडोर पेशेंट्स डिपार्टमेंट (ओपीडी) को बंद कर 24 पीजीटी, 270 इंटर्न व 60 हाउस स्टाफ ने विरोध प्रदर्शन किया.

इसके खिलाफ अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा. इन लोगों ने अस्पताल परिसर में उतर कर आरजी कर की घटना के विरोध में जोरदार प्रतिवाद जताया. चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने आरजी कर में मारी गयी लेडी डॉक्टर के लिए न्याय और दोषी को सख्त सजा देने की मांग की. साथ ही राज्य सरकार से अस्पतालों में डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा कड़ी करने की भी मांग की गयी.

घटना से डॉक्टरों में काफी गुस्सा है. बांकुड़ा अस्पताल के बाहर काफी देर तक विरोध प्रदर्शन किया गया. उत्तर कोलकाता के बड़े सरकारी अस्पताल में हुई शर्मनाक घटना के विरोध में दक्षिण बंगाल के सरकारी चिकित्सा केंद्र की आउटडोर सेवाएं सुबह से ही ठप रहीं. इनडोर सेवाएं भी बाधित रहीं.

बताया गया है कि बस आपातकालीन विभाग ही पूरी तरह से चालू है. बांकुड़ाअस्पताल में भी डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. निजी कॉलेज के डॉ सौभिक राय व सुषमा भक्त ने शिकायत की कि कोलकाता के सरकारी अस्पताल की घटना बेहद निंदनीय है. हत्यारों को पकड़ कर कड़ी सजा दिलानी चाहिए. बांकुड़ा अस्पताल में भी सुरक्षा व्यवस्था में कई खामियां हैं, जिन्हें समय रहते दुरुस्त करना चाहिए. बांकुड़ा सम्मिलनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के एमएसवीपी डॉ सप्तर्षि चटर्जी ने कहा कि आरजी कर अस्पताल में हुई घटना के बाद यहां के डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया. बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा की दृष्टि से और सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने चाहिए. अस्पताल में आने-जानेवालों की कड़ी निगरानी होनी चाहिए. आंदोलन कर रहे डाक्टरों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक विरोध प्रदर्शन चलता रहेगा.

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