उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर हर साल खुदीराम बोस की शहादत दिवस पर सिलसा की मिट्टी लेकर आता हूं और शहीद के फांसी स्थल पर समर्पित करता हूं. इस बार भी मिट्टी लेकर आया हूं. पूरे वर्ष भर कहींं भी रहूं, लेकिन 11 अगस्त को मुजफ्फरपुर आना निश्चित है. जब तक मेरी सांस रहेगी यहां आकर शहीद को नमन करूंगा. मेरे बाद मेरा बेटा इस परंपरा को निभाएगा. शहीद की श्रद्धांजलि की यह परंपरा लगातार जारी रहेगी. यह कहना था शहीद खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि देने आये सिलसा के प्रकाश हलधर का. वे अपने जत्थे के साथ शनिवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि वे 28 वर्षों से हर साल शहीद की शहादत दिवस पर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहीद के प्रति श्रद्धा के कारण वे सिलसा में खुदीराम बोस स्कूल चला रहे हैं. निर्धन और अनाथ बच्चों को यहां निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था है. एक दूसरे स्कूल से जो आमदनी होती है, उसको इस स्कूल में खर्च करते हैं. प्रकाश ने कहा कि उन्होंने स्कूल परिसर में खुदीराम बोस की प्रतिमा लगवायी है. रोज सुबह प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद ही वे अन्न जल-ग्रहण करते हैं और शाम में प्रतिमा के पास दीपक जलाना उनकी दिनचर्या में शामिल है. प्रकाश ने कहा कि वे जब दस वर्ष के थे तभी से खुदीराम बोस को भगवान की तरह पूजने लगे. खुदीराम बोस के आदर्शों को लोगों तक पहुंचाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है. देश के प्रति जिस तरह की वफादारी शहीद ने दिखायी थी, वैसे ही वफादारी सभी भारतीयों का कर्तव्य है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है