विशेष संवाददाता, रांची़ प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने दस्तावेज में जालसाजी कर जमीन की खरीद बिक्री मामले में शेखर कुशवाहा सहित तीन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. सभी अभियुक्तों पर जमीन की खरीद बिक्री के दौरान मनी लाउंड्रिंग का आरोप लगाया गया है. इडी ने पीएमएलए की धारा तीन के तहत अभियुक्तों को आरोपित किया है. साथ ही धारा चार में निहित प्रावधानों के आलोक में दंडित करने का अनुरोध किया है. इडी की ओर से दायर आरोप पत्र में कहा गया कि बड़गाईं अंचल कार्यालय समेत अन्य स्थानों पर हुई छापेमारी के दौरान जब्त किये गये दस्तावेज की जांच पड़ताल के दौरान इस बात के सबूत मिले हैं कि शेखर कुशवाहा ने भी अपने सहयोगियों का साथ मिल कर फर्जी दस्तावेज के सहारे जमीन की खरीद बिक्री की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन की जालसाजी मामले में गिरफ्तार किये गये डीड राइटर इरशाद अख्तर सहित कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय के कर्मचारियों ने पूछताछ के दौरान जालसाजी करनेवालों में शेखर कुशवाहा का नाम लिया था. साथ ही उसकी गतिविधियों की जानकारी दी थी. इन सूचनाओं के आधार पर जांच के दौरान पाया गया कि शेखर बड़गाईं अंचल की गाड़ी मौजा की 4.83 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री में शामिल है. वह अफसर अली गिरोह के सदस्य के रूप में जमीन का कारोबार करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शेखर महतो उर्फ शेखर कुशवाहा ने सद्दाम हुसैन, अफसर अली और प्रियरंजन सहाय के साथ मिल कर वर्ष 1974 का फर्जी सेल डीड तैयार किया था. कोलकाता के रजिस्ट्री कार्यालय में रखे मूल दस्तावेज में छेड़छाड़ कर तैयार किये गये इस सेल डीड का नंबर 3954 था. इस सेल डीड में 4.83 एकड़ जमीन शामिल है. सरकारी दस्तावेज के अनुसार, इस जमीन का मालिक तेतरा भोक्ता है. लेकिन दस्तावेज में जालसाजी कर रमेंद्र घोषाल को जमीन का मालिक बनाया गया. इसके बाद बड़गाईं अंचल के राजस्व कर्मचारी के साथ साजिश रच कर रजिस्टर-2 में रमेंद्र घोषाल का नाम जमीन के मालिक के रूप में दर्ज किया गया. फर्जी डीड तैयार करने के लिए मूल दस्तावेज और कागज कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय के कर्मचारियों ने उपलब्ध कराया था. जबकि फर्जी डीड लिखने का काम इरशाद अख्तर ने किया था. जांच में मिले इन तथ्यों का बाद लंबी पूछताछ के बाद शेखर को 12 जून को गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, शेखर ने बड़गाईं अंचल के खाता नंबर 234 से संबंधित जमीन की फर्जी सेल डीड बनायी. इस डीड को 4.83 एकड़ जमीन हथियाने के लिए तैयार किया गया. यह जमीन सीएनटी एक्ट के दायरे में है. इसकी खरीद बिक्री नहीं की जा सकती है. लेकिन शेखर ने अंचल के राजस्व कर्मचारी से मिल कर इसे गैर आदिवासी को कागजी मालिक बनाया. सरकारी दर पर इस जमीन की कीमत 22.61 करोड़ रुपये है.
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