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मरीजों के परिजनों को दी जायेगी टीपीटी की नयी दवा

टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए विभाग की ओर से कई कोशिशें की जा रही हैं.इसी क्रम में अब टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों को भी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है. अभी तक टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत टीबी मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सभी लोगों को प्रतिदिन छह माह तक आइसोनियाज़िड दवा खानी पड़ती थी.अब स्वास्थ्य विभाग ने टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत एक नयी दवा 3 एचपी को लॉन्च किया है.

सीवान. टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए विभाग की ओर से कई कोशिशें की जा रही हैं.इसी क्रम में अब टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों को भी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है. अभी तक टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत टीबी मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सभी लोगों को प्रतिदिन छह माह तक आइसोनियाज़िड दवा खानी पड़ती थी.अब स्वास्थ्य विभाग ने टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत एक नयी दवा 3 एचपी को लॉन्च किया है.3 एचपी एक निश्चित खुराक संयोजन चिकित्सा है जो लेटेंट टीबी के उपचार के लिए दो एंटीबायोटिक दवाओं – आइसोनियाज़िड और रिफापेंटिन को जोड़ती है यह एक छोटा कोर्स है, जिसे तीन महीने तक सप्ताह में एक बार लिया जायेगा. टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत दी जाने वाली इस नई दवा को लांच करने के लिए यक्ष्मा विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर लिया है.स्वास्थ्यकर्मियों को दवा के संबंध में प्रशिक्षित किया जा चुका है. प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी की नई दवा 3 एचपी भेजी जा रही है.टीबी रोगियों के परिजनों व सम्पर्क में आने वालों की भी जांच कराई जायेगी.रिपोर्ट में टीबी के लक्षण न दिखाई देने पर परिवार के सदस्यों को प्रीवेंटिव दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. साथ ही एचआइवी के मरीज को भी प्रीवेंटिव दवाएं दी जाती हैं.यदि जांच में किसी सदस्य में टीबी के लक्षण पाये गये तो उसका पूरा इलाज डाट सेंटर के माध्यम से किया जायेगा. पल्मोनरी टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोगों को दी जाती है टीपीटी दवा सीडीओ डा. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि टीबी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए टीपीटी कार्यक्रम चलाया जा रहा है.मरीज के परिवारजनों को भी यह दवा दी जाएगी. टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से होता है. इसके दो प्रकार हैं. पहला, पल्मोनरी टीबी, दूसरा एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी. पल्मोनरी टीबी में फेफड़े संक्रमित होते हैं. इसकी फैलने की आशंका रहती है. एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी में फेफड़ों के बजाय शरीर के अन्य अंगों पर असर होता है.यह नहीं फैलती है. पल्मोनरी टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोगों को टीपीटी दी जाती है. इसके तहत क्षय रोगी के परिवार के लोगों को छह महीने तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवाएं मौजूद परिवार के सदस्यों के आयु के हिसाब से दी जाती है.लेकिन अब टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत नई दवा 3 एचपी आ गई है.इसे तीन माह में प्रत्येक सप्ताह मात्रा 12 खुराक ही खानी है.उन्होंने बताया कि यदि किसी आदमी को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है. इसलिए मरीजों के परिवार के लोगों के उपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. क्या कहते हैं जिम्मेदार टीबी मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिवार के लोगों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत अब नई दवा 3 एचपी दी जाएगी. विभाग द्वारा दवा की आपूर्ति कर दी गई है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में दवा भेजी जा रही है. बहुत जल्द ही एक साथ पूरे जिले में दवा शुरू की जाएगी. डॉ. अनिल कुमार सिंह,सीडीओ,जिला यक्ष्मा केंद्र,सीवान

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