Munger News : मुंगेर. मुंगेर को चौराहों और महापुरुषों की प्रतिमाओं का शहर कहा जाता है. 1934 के विनाशकारी भूकंप के बाद मुंगेर शहर को टाउनशिप की तर्ज पर बसाया गया है. शहर की ऐसी बसावट है कि हर 20 कदम पर एक चौराहा है और वहां पर किसी न किसी महापुरुष की प्रतिमा लगी है. इन चौक-चौराहों का नामकरण भी महापुरुषों के नाम पर ही किया गया है, जो युवा पीढ़ी में देश भक्ति का जज्बा भर रहा है. यह याद दिलाता है कि किस तरह हमारे महापुरुषों ने अंग्रेजों से लड़कर देश को आजादी दिलायी. अपनी शहादत दी थी. लेकिन आज इन महापुरुषों की प्रतिमा और प्रतिमा स्थल दोनों उपेक्षित हैं.
महापुरुषों की प्रतिमा को है आजादी की दरकार
देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने वाले महापुरुष की प्रतिमा मुंगेर के चौक-चौराहों पर धूल फांक रही है. वर्तमान में प्रतिमा स्थल गंदगी व अतिक्रमण की कैद में है. शहर में अलग-अलग जगह स्थापित महापुरुषों की प्रतिमा, चाहे वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हो या फिर सुभाष चंद्र बोस की, सभी की दशा एक-सी है. गांधी चौक पर बापू की प्रतिमा स्थापित है. प्रतिमा के ऊपर की छतरी कब की लापता हो चुकी है. जबकि प्रतिमा स्थल भी जर्जर हो गया है. वहीं से कुछ दूर पर स्थित शहीद अब्दुल हमीद चौक है. इसकी दुर्दशा देखने लायक नहीं है. आजाद चौक पर स्थित शहीद चंद्रशेखर आजाद के प्रतिमा स्थल को सब्जी वालों ने अतिक्रमित कर रखा है. एक नंबर ट्रैफिक स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल की भव्य प्रतिमा के पास बुरा हाल है. प्रतिमा स्थल बाजार के दुकानदारों के लिए कूड़ा स्थल बन गया है. इस चौक का इस्तेमाल बैनर पोस्टर लगा कर प्रचार के लिए किया जाता है. पटेल की प्रतिमा से कुछ ही दूरी पर बाबू वीर कुंवर सिंह की आदमकद प्रतिमा है. लेकिन यह दिखती नहीं. बल्कि ढूढ़ने और पूछने के बाद ही इसका पता चलता है. शहर में महापुरुषों की प्रतिमाएं दर्जन भर से अधिक की संख्या में लगायी गयी हैं. इनकी देखरेख के प्रति उदासीनता के कारण ये दुर्दशा की शिकार हैं.
विशेष अवसर पर तस्वीर के लिए पहुंचते हैं लोग
प्रतिमाओं को आकर्षक बनाने और संरक्षित करने के लिए प्रतिमाओं के किनारे रेलिंग भी लगवाई गयी थी. लेकिन अनदेखी के कारण धीरे-धीरे इसकी दुर्दशा हो रही है. इन स्थलों पर चारों ओर से अतक्रमणहै. गंदगी जमी रहती है. इसे ठीक करने को न तो इन्हें आदर्श मानने वाले आगे आ रहे हैं, और न ही जिला व नगर प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या महापुरुष की जयंती-पुण्यतिथि पर ही इसकी सफाई की जाती है. अब गुरुवार को देश स्वतंत्रता दिवस मनायेगा. तो सोमवार को अग्निशमन वाहन द्वारा महापुरुषों के प्रतिमा की धुलाई की जा रही है.
महापुरुषों की प्रतिमा की हो रही है अनदेखी, जिम्मेदारी नहीं हुई तय
मुंगेर शहर में की लगभग सभी प्रतिमाओं की अनदेखी हो रही है. जितनी भी प्रमुख प्रतिमाएं हैं, उपेक्षा का शिकार हैं. लेकिन इन प्रतिमाओं की देख-रेख की जिम्मेदारी किसके पास है, यह किसी को पता नहीं है. दो दशक पहले महापुरुषों की प्रतिमाओं की देख-रेख की जिम्मेदारी शहर के बड़े नर्सिंग होम संचालक व बैंकों को दी गयी थी. जो इस महापुरुषों की प्रतिमाओं को सम्मान लायक बनाये रखते थे. लेकिन हाल के दिनों में उन्होंने खुद को इस जिम्मेदारी से अलग कर लिया है. इसके बाद 26 जनवरी, 15 अगस्त, जयंती और पुण्यतिथि पर कभी प्रशासनिक स्तर पर, तो कभी स्थानीय लोग या दुकानदार ही प्रतिमा को सम्मान देते हैं. लेकिन अधिकांशत: महापुरुषों की प्रतिमा धूल ही फांकती है.