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गैस गोदाम से टोटहा जाने वाली सड़क पर चढ़ा बाढ़ का पानी

गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से सूर्यगढ़ा एवं आसपास क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.

सूर्यगढ़ा. गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से सूर्यगढ़ा एवं आसपास क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. निचला इलाका पानी से पूरी तरह जलमग्न हो गया है. रविवार की रात से जलस्तर में वृद्धि के कारण सोमवार को शाम्हो दियारा क्षेत्र में कहीं कहीं नये इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया. शाम्हो इंडेन गैस गोदाम से टोटहा जाने वाली सड़क पर लगभग दो फीट ऊपर बाढ़ का पानी बह रहा है. जबकि जगत सैदपुर झगड़ाहा में सड़क पर चार फीट ऊपर बाढ़ का पानी बह रहा है. सोमवार को शाम्हो बीडीओ विनय मोहन झा, सीओ नवीन कुमार, थानाध्यक्ष राजेश कुमार ठाकुर ने क्षेत्र भ्रमणकर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली. सीओ ने बताया कि पिछले 24 घंटे में जलस्तर में वृद्धि हुई है. अब गैस गोदाम से टोटहा जाने वाली सड़क पर भी बाढ़ का पानी चढ़ गया है. उन्होंने बताया कि उक्त सड़क पर 1.5 से 2 फीट तक पानी है. सीओ बताया कि शाम्हो अंचल में अधिकतर खेतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. हालांकि अभी आबादी वाले इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश नहीं किया है. निचले इलाके एवं गड्ढे आदि पानी से लबालब भरा है. हालांकि अभी सूर्यगढ़ा शाम्हो प्रखंड मुख्यालय तक आवागमन बाधित नहीं हुआ है.

पशुचारा का संकट गहराया

शाम्हो क्षेत्र में लगी अधिकतर सोयाबीन मक्का आदि फसल बाढ़ की भेंट चढ़ चुका है. ऐसे में पशुपालकों के समक्ष पशु चारा का संकट गहराने लगा है. क्षेत्र के पशुपालक पशुओं को साथ लेकर ऊंचे स्थान पर पलायन करने को मजबूर हो गये हैं.

रसूलपुर में बाढ़ का खतरा

सूर्यगढ़ा प्रखंड के रसूलपुर में बाढ़ का सर्वाधिक खतरा बना हुआ है. प्रशासन द्वारा इसे लेकर तैयारी की गयी है. अंचलाधिकारी सूर्यगढ़ा स्वतंत्र कुमार ने बताया कि क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. प्रशासन बाढ़ से निपटने हर संभव तैयारी पूरी कर चुका है.

गंगा के जलस्तर में हो रही लगातार वृद्धि, बाढ़ का मंडराने लगा खतरा

बड़हिया. पिछले एक सप्ताह हो रहे बारिश होने के कारण बड़हिया में गंगा व हरूहर नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है. पिछले दो दिनों में गंगा के जलस्तर में चार सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है. बताया जा रहा है कि गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. बड़हिया के दियारा क्षेत्र में काफी तेजी से गंगा के पानी का फैलाव हो रहा है. गंगा से पार दियारा क्षेत्र के खेती व पशुपालन करने वाले किसान को बड़हिया शहरी क्षेत्र से जोड़ने के लिए एकमात्र उपाय नाव का सहारा बच गया है. नाव से पर कर रहे किसान लोग जान जोखिम में डालकर दियारा से बड़हिया पहुंच रहे हैं. इधर, गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए तटवर्ती लोग सहमे हुए हैं. हालांकि अभी भी हाथीदह में गंगा डेंजर लेवल से नीचे बज रही है. वहीं संभावित बाढ़ के खतरे से दियारावासी व गंगा तट पर बसे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. लोगों ने बाढ़ की आशंका को देखते हुए अब से अपने लिए सुरक्षित स्थानों की खोज जारी कर दी है, ताकि जान-माल की अधिक हानि नहीं हो. गंगा के जलस्तर बढ़ने से दियारा क्षेत्र के हजारों एकड़ में लगी भदई फसल, परवल, करैला, कद्दू, बोरा, भिंडी, नेनुआ, खीरा सहित अन्य फसलें या तो डूब चुका है. गंगा में पानी बढ़ने के बाद बड़हिया कॉलेज गंगा घाट पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है. प्रतिदिन हजारो श्रद्धालु बड़हिया पहुंच कर गंगा स्नान कर रहे हैं. बताते दें कि बड़हिया कॉलेज गंगा घाट खतरनाक घाट है. जिसको देखते हुए कोई घटना नहीं हो इसके लिए नगर परिषद अलर्ट है. बड़हिया कॉलेज गंगा घाट में स्नान के क्रम हल्की सी भी असावधानी हुई तो जान से हाथ धोना पड़ सकता है. इसलिए गंगा घाट पर मौजूद नगर कर्मी व स्थानीय लोग के द्वारा गंगा स्नान करने वाले लोगों को बने सीढ़ी से बाहर जाकर स्नान करने से मना किया जा रहा है. गंगा के जलस्तर में लगातार हो रहे वृद्धि को लेकर जिला प्रशासन भी काफी सजग हैं. लगातार गंगा के जलस्तर पर नजर टिकाये हुए है. खुटहा जाने वाली सड़क जलमग्न हो चुका है.

किऊल नदी का जलस्तर बढ़ने से डूब गयी सब्जी और मकई की फसल

मेदनीचौकी. किऊल नदी का जलस्तर बढ़ने से दियारा में सब्जी और मकई की फसल डूब गया है. इस संदर्भ में खावा के लोगों ने बताया कि खावा नदी घाट में 27 सीढ़ी की धाप है, किऊल नदी का जलस्तर इस कदर बढ़ रहा है कि सीढ़ी का पांच धाप डूब गया है, जिससे 22 सीढ़ी का धाप ही दिखाई दे रहा है. नदी में स्नान कर रहे लोगों ने बताया कि नदी किनारे तथा दियारा में खावा गांव के सामने परवल व मकई की फसल डूब कर नष्ट हो गया है. जिससे किसानों की पुंजी डूब गयी है. बताया गया कि सब्जी के फसल से यहां के हजारों परिवारों का जीविका चलता था. सब बाढ़ के पानी में डूबने से जिविका पर संकट छा गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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