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जिले में 2 लाख से अधिक बच्चों को दी गयी ओआरएस व जिंक की गोली

बच्चों को होने वाले विभिन्न रोग एवं जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. ताकि शिशु मृत्य दर में कमी लायी जा सके.

मधुबनी. बच्चों को होने वाले विभिन्न रोग एवं जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. ताकि शिशु मृत्य दर में कमी लायी जा सके. इसी उद्देश्य से जिले में स्टॉप डायरिया अभियान की शुरुआत 23 जुलाई को की गई. जो 22 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान 20 दिनों में लगभग 2 लाख बच्चों को आशा कार्यकर्ताओं द्वारा 1-1 ओआरएस पैकेट एवं जिंक टैबलेट दी गई है. वहीं अभियान के दौरान 20 दिनों में डायरिया से प्रभावित 118 बच्चों को चिन्हित किया गया. चिन्हित बच्चों को 2-2- पैकेट ओआरएस व 14-14 जिंक टैबलेट दी गई है. जिले के सभी 21 प्रखंडों में आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर ओआरएस का एक पैकेट एवं जिंक की टैबलेट दे रही हैं. जिन घरों में दस्त से पीड़ित बच्चे पाए गए उस घर में 2 पॉकेट ओआरएस एवं 14 जिंक की टैबलेट दी जा रही है. 0 से 5 वर्ष के बच्चे अक्सर डायरिया से पीड़ित हो जाते हैं. इससे बचाव को लिए स्टॉप डायरिया अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत जिले में 10 लाख 80 हजार 561 घरों के 7 लाख 70 हजार 482 बच्चों को लक्षित किया गया है. इसके लिए विभाग द्वारा 8 लाख 77 हजार 228 ओआरएस एवं 3 लाख 49 हजार 209 जिंक टेबलेट उपलब्ध कराई गई है. अभियान जिले के 3858 आंगनबाड़ी केंद्रों पर चलाया जा रहा है. ओआरएस व जिंक की गोली जरूरी जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा ने कहा है कि गर्मी व बरसात के दिनों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया का खतरा अधिक रहता है. ऐसे में प्राथमिक उपचार में ओआरएस घोल एवं जिंक का टैबलेट बहुत ही फायदेमंद होता है. उन्होंने कहा कि डायरिया के दौरान बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है. जो बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. ऐसे में 2 दिनों तक लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिनों तक लगातार जिंक की गोली बच्चों के लिए फायदेमंद होता है. इससे बच्चों की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि 0 से 6 महीने के बच्चों को दस्त हो जाये तो इसे दो दिनों तक लगातार ओआरएस का घोल एवं आधा जिंक की गोली देना है. 7 माह से 5 साल के बच्चे को घोल के साथ एक जिंक की गोली लगातार 14 दिनों तक देना है. 14 दिनों तक जिंक की गोली देने के बाद अगले तीन महीनों तक बच्चों को डायरिया होने का खतरा कम होता है. स्वच्छता को लेकर किया जाएगा जागरुक स्टॉप डायरिया अभियान के दौरान लोगों को स्वच्छता के लिए भी जागरुक किया जा रहा है. सिविल सर्जन डा.नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा है कि बच्चों में डायरिया होने में गंदगी की अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता ओआरएस एवं जिंक की गोली देने के साथ लोगों को स्वच्छता के प्रति भी जागरुक करेगी. सही तरीके से हाथ धोने की जानकारी देगी. साथ ही घरेलू उपचार से बच्चे को डायरिया से पीड़ित होने से कैसे बचाया जाए की जानकारी भी देगी.

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