मुजफ्फरपुर.बीआरएबीयू में इस सत्र में आवेदन करनेवाले कॉलेजों में 90 प्रतिशत ऐसे हैं जो मानक पर खरे नहीं उतरे. कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है तो कहीं शिक्षक ही नहीं हैं. निरीक्षण की बात सुनकर कुछ कॉलेजों ने जैसे-तैसे साइंस लैब के सामान तो जुटाए पर वह मानक के अनुसार नहीं था. किसी का अभी भवन ही तैयार हो रहा है तो कहीं सिर्फ भूमि ही है.
ऐसे में उन कॉलेजों के निरीक्षण में मिली कमियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इससे यह लग रहा है कि 90 प्रतिशत कॉलेजों को इस सत्र में मान्यता नहीं मिलेगी. पूर्व में जांच के लिए गयी टीम ने भी पेपर पर इन्हें सही व मानक के अनुरूप ठहराते हुए मान्यता देने की अनुशंसा कर दी थी. इन कॉलेजों को सिंडिकेट की बैठक में भी स्वीकृति दे दी गयी थी, लेकिन गर्दन फंसने के भय से सिंडिकेट सदस्यों ने ही सीनेट की बैठक में फिर से कॉलेजों की जांच कराने के बाद मान्यता देने का मुद्दा उठाया.
जब टीम जांच के लिए पहुंची तो हकीकत कुछ और ही निकली. अब स्थिति यह है कि काॅलेजों ने जिन संकाय व विषयों में मान्यता के लिए आवेदन किया था. उसमें मान्यता मिल पाना मुश्किल है. अधिकतर कॉलेजों में साइंस लैब का निर्माण मानक के अनुसार नहीं है. कहीं आनन-फानन में सामग्री की खरीदारी कर ली गयी है, पर वह भी मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं.
बता दें कि 29 कॉलेजों को दोबारा जांच के नाम पर रोका गया था. अब सवाल उठ रहा है कि जब इतनी कमियां थीं तो पूर्व में गयी कमेटी ने किस आधार पर उन्हें मान्यता के लिए स्वीकृति दे दी थी. ऐसे में यदि कमेटी की रिपोर्ट की रिव्यू हो तो कई अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है.
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