मधुबनी. सदर अस्पताल सहित पांच स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की गई है. फिर भी सदर अस्पताल सहित स्वास्थ्य संस्थानों में भर्ती मरीजों को सिलिंडर के सहारे ही ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है. सदर अस्पताल के एसएनसीयू एवं इमरजेंसी में भर्ती मरीजों के लिए प्रतिमाह 60 से 70 सिलिंडर की खरीदारी अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्थानीय एजेंसी से की जा रहा है. इसके अलावे अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी एजेंसी द्वारा ही सिलिंडर की आपूर्ति की जा रही है. इस संबंध में वरीय अधिकारी कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में हर माह 60 से 70 हजार रुपए का ऑक्सीजन सिलिंडर की खपत होती है. इसमें लगभग 40 से 45 हजार रुपए एसएनसीयू व 15-20 हजार रुपए का इमरजेंसी व भर्ती वार्ड में खर्च होती है. जबकि जिले में लाखों रुपए से अधिक की राशि ऑक्सीजन के नाम पर ही खर्च किया जा रहा है.
आईटीआई का एक टेक्नीशियन है नियुक्त
अस्पताल प्रबंधन सूत्रों की माने तो सदर अस्पताल स्थित 1000 लीटर प्रति मिनट क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट के लिए दो आईटीआई टेक्नीशियन की नियुक्ति की गई थी. इसमें से एक टेक्नीशियन ने ही योगदान दिया है. जिसके कारण ऑक्सीजन प्लांट का संचालन एक शिफ्ट में ही होता है. नतीजतन अस्पताल में भर्ती मरीजों को सिलिंडर के सहारे ही ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है. इस संबंध में एलएनटी के इंजीनियर विशाल कुमार ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट से जितनी मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता है उतनी ही मात्रा में मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकती है. जबकि अस्पताल प्रबंधन द्वारा कम मरीजों का हवाला देकर प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं करने की बात की जा रही है.
रिफलिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं
सदर अस्पताल सहित जिले के अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर, फुलपरास, झंझारपुर व अररिया संग्राम में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है. लेकिन किसी भी प्लांट में रिफलिंग की सुविधा नहीं है. पर्याप्त मरीज नहीं होने के कारण ऑक्सीजन प्लांट का संचालन नहीं किया जा रहा है. हालांकि अनुमंडलीय अस्पताल फुलपरास में डॉक्टर फार यू संस्था द्वारा लगाये गये ऑक्सीजन के प्लांट के उद्घाटन के अवसर पर आश्वासन दिया था कि इस प्लांट में सिलिंडर की रिफलिंग की सुविधा मुहैया कराई जाएगी. ताकि सिलिंडर में ऑक्सीजन की रिफिलिंग के बाद अन्य संस्थाओं को भी आपूर्ति किया जा सके. लेकिन उद्घाटन के लगभग चार वर्ष बाद भी आश्वासन केवल आश्वासन बन कर ही रह गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है