National News : भारत की आजादी में जहां अनेक लोग सशस्त्र संघर्ष में शामिल रहे, वहीं कइयों ने अहिंसक आंदोलन का रास्ता चुना. इसी दौरान कई साहित्यकारों व स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा स्वाधीनता की अलख जगाने और बहरे अंग्रेजों को सुनाने व धमकाने के लिए कई कविताओं व गीतों की रचना की गयी, जिन्हें ब्रिटिश राज ने प्रतिबंधित कर दिया था. इतना ही नहीं, भारत के स्वाधीनता आंदोलन व इसके नायकों को लेकर कई पुस्तकें भी लिखी गयी हैं जो आज दुर्लभ पुस्तकों की श्रेणी में आती हैं. स्वतंत्रता दिवस के अवसर हम जानते हैं, ऐसे ही कुछ चुनींदा गीतों-कविताओं व पुस्तकों के बारे में.
स्वाधीनता संग्राम के दौरान प्रतिबंधित कविताएं
ब्रिटिश राज को न केवल क्रांतिकारियों और अहिंसक आंदोलनकारियों से दिक्कत थी, बल्कि उन्हें उन कवियों-साहित्यकारों से भी दिक्कत थी, जो दासता की पीड़ा और उससे बाहर निकलने की छटपटाहट को अपनी लेखनी के माध्यम से व्यक्त करते थे. राज द्वारा प्रतिबंधित कुछ कविताएं…
‘सर फरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है/देखना है जोर कितना बाजुये कातिल में है/राहरवे राहे मुहब्बत रह न जाना राह में/लज्जते सहरा नवरदी दूरिये मंजिल में है.’
‘बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी/खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी/सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने, भृकुटी तानी थी/बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी.’
‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा/झंडा ऊंचा रहे हमारा/सदा शक्ति बरसानेवाला, प्रेम सुधा सरसानेवाला/वीरों को हरषानेवाला, मातृ-भूमि का तन-मन सारा.’
विदा करो मां जाते हैं हम विजय ध्वजा फहराने आज/देश स्वतंत्र बनाने जाते हम निज शीश चढ़ाने आज/वीर प्रसू तू रोती क्यों है तेग अहिंसा मेरे हाथ/मलिन वेष यह आंसू कैसे क्यों कंपित होता है गात.’
‘ए उठो वीर भारतवासी, जब धर्म युद्ध करना होगा/शान्तिमय संग्राम मचा नित, भारत दुःख हरना होगा/ पूज्य भारत के व्यथित हृदय की, विषय पीर हरना होगा/बाल वृद्ध सब नर नारिन को, स्वार्थ त्याग करना होगा.’
‘भारत न रह सकेगा हरगिज गुलामखान/आजाद होगा होगा आता है वह जमाना/खूं खौलने लगा है हिंदोस्तानियों का/ कर देंगे जालिमों का हम बंद जुल्म खाना.’
‘सोते भारत को जगा दिया, इन पूर्ण स्वतंत्रता वालों ने/सबका उत्साह बढ़ा दिया, इन पूर्ण स्वतंत्रता वालों ने/शुभ अशुभ महक बदबू, जितनी थी छुपी हुई कलियां अंदर/सारे गुलशन को खिला दिया, इन पूर्ण स्वतंत्रता वालों ने.’
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी कुछ दुर्लभ पुस्तकें
गांधी एंड द इंडियनाइजेशन ऑफ एंपायर
लेखक: जेएफ ब्रैंट
स्रोत: सेंट्रल सेक्रेटेरिएट लाइब्रेरी
विषय वस्तु: इस पुस्तक में 1919 के पूर्व की समयावधि का वर्णन है. यह पुस्तक खिलाफत मुद्दे के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत के साथ भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में गांधीजी के प्रवेश की बात करती है. इसमें गांधी जी के असहयोग आंदोलन और इसी तरह के समानांतर आंदोलनों का विवरण है.
हाउ इंडिया रॉट फॉर फ्रीडम: द स्टोरी ऑफ द नेशनल कांग्रेस टोल्ड फ्रॉम ऑफिशियल रिकॉर्ड्स
लेखिका: एनी बेसेंट
स्रोत: सेंट्रल सेक्रेटेरिएट लाइब्रेरी
विषय वस्तु: यह पुस्तक भारत के स्वाधीनता संग्राम की कहानी है. यह ब्रिटेन के भारत में निरंकुश शासन को समझने का एक प्रयास है.
गांधी एंड अरबिंदो
लेखक: बीसी चटर्जी
विषय वस्तु: पुस्तक में 1905 से 1920 तक की काल अवधि का वर्णन है, जो बताता है कि इस दौरान किस तरह अरबिंदाे घोष ने बंगाल में और गांधी जी ने अहिंसक आंदोलन के जरिये स्वाधीनता का अलख जगाया.
स्रोत: सेंट्रल सेक्रेटेरिएट लाइब्रेरी
सिविल रिबेलियन इन द इंडियन म्युटिनिज (1857-1859)
लेखक: शशि भूषण चौधरी
स्रोत: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली
जिन्ना एंड गांधी: देयर रोल इन इंडियाज क्वेस्ट फॉर फ्रीडम
लेखक: एसके मजूमदार
स्रोत: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली
इन फ्रीडम्स क्वेस्ट: ए बायोग्राफी ऑफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस
लेखक: नारायण गोपाल जोग
स्रोत: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली
लोकमान्य तिलक: फादर ऑफ द इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल
लेखक: धनंजय कीर
स्रोत: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली
इंडियाज स्ट्रगल फॉर फ्रीडम
लेखक: हिरेंद्रनाथ मुखर्जी
स्रोत: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली