President Address: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, सभी देशवासी 78वें स्वतन्त्रता दिवस का उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं, यह देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लहराते हुए तिरंगे को देखना – चाहे वह लाल किले पर हो, राज्यों की राजधानियों में हो या हमारे आस-पास हो हमारे हृदय को उत्साह से भर देता है.
भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और हम शीघ्र ही विश्व की तीन शीर्षस्थ अर्थ-व्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार है. उन्होंने इसका श्रेय किसानों और श्रमिकों को दिया. उन्होंने कहा, यह सफलता किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों की दूरगामी सोच तथा देश के दूरदर्शी नेतृत्व के बल पर ही संभव हो सकी है.
किसानों पर क्या बोलीं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, हमारे अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है. ऐसा करके, उन्होंने भारत को कृषि-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने में अमूल्य योगदान दिया है.
महिलाओं पर क्या बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा, महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक विशेष योजनाएं भी लागू की गई हैं. नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं का वास्तविक सशक्तीकरण सुनिश्चित करना है.
पांच वर्षों में चार करोड़ दस लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार और कौशल का लाभ
राष्ट्रपति ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, रोजगार और कौशल के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाओं के माध्यम से पांच वर्षों में चार करोड़ दस लाख युवाओं को लाभ मिलेगा. सरकार की एक नई पहल से पांच वर्षों में एक करोड़ युवा अग्रणी कंपनियों में इंटर्नशिप करेंगे. ये सभी कदम, विकसित भारत के निर्माण में आधारभूत योगदान देंगे.
तीन नये कानून पर क्या बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन नये कानून पर कहा, इस वर्ष जुलाई से भारतीय न्याय संहिता को लागू करने में, हमने औपनिवेशिक युग के एक और अवशेष को हटा दिया है. नई संहिता का उद्देश्य केवल दंड देने की बजाय, अपराध-पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है. मैं इस बदलाव को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में देखती हूं.